गया: मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक है. ऐसे में बाजार इस समय तील और गुड़ की खुशबू से सज और महक रहा है। इस दिन चूड़ा-दही के साथ तिलकुट खाना लोग खूब पसंद करते हैं। यही वजह है कि बाजार में तरह-तरह के तिलकुट सज कर तैयार है। कोई गुड़ वाले तिलकुट को खाना पसंद करता है तो कोई चीनी वाला तिलकुट। लेकिन तिलकुट की वैरायटी में डिमांड के साथ ही एक और डिमांड भी इन दिनों बाजार में खूब सुनाई देती है। वह डिमांड है गया के तिलकुट की। डिमांड इतनी हाई है कि बिहार से तिलकुट के कारीगर पूरे देश भर में जाकर इसका स्वाद सबको चखाते हैं. ये कारीगरों के हाथ मे छिपे स्वाद का ही जादू है कि विदेशों में रह रहे भारतीय भी गया के तिलकुट की डिमांड करते हैं।
गया के टिकारी रोड और रमना में तिलकुट का मुख्य बाजार सजता है. यहां मकर संक्रांति से 2 महीने पहले ही तिलकुट बनाने का काम शुरू हो जाता है. गया कि खास पहचान इसके तिलकुट से हो चुकी है. लोग बताते हैं कि कुछ लिखित इतिहास तो है नहीं कि यहां कब से तिलकुट बन रहा है. लेकिन जब से लोग गया को जान रहे हैं, तब से तिलकुट की खुशबू शहर में रची-बसी सी लगती है।
लोग बताते हैं कि गया में जितने टूरिस्ट बोधगया के दर्शन को आते हैं, वह सर्दियों में बिना यहां के तिलकुट का स्वाद चखे नहीं जाते हैं. ज्ञान की नगरी गया दिसंबर आते-आते सौंधी-सौंधी महक से खिल उठती है. गया में वर्षों से तिलकुट बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि प्रधानमंत्री रहते हुए एक बार इंदिरा गांधी ने भी यहां के तिलकुट का स्वाद लिया था और इसकी प्रशंसा की थी।
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