दीपावली से पहले मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए धनतेरस का पर्व बहुत खास होता है। यह त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जो कि इस वर्ष 10 नवंबर शुक्रवार को धन्वंतरि जयंती धनतेरस मनाई जाएगी। धनतेरस से दिवाली का पर्व शुरू हो जाता है और भैया दूज पर खत्म होता है।
इस साल धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:47 बजे से शाम 7:43 बजे तक रहेगा। शास्त्रों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धनतेरस पर 13 दिए जलाए जाते हैं। पूजा के लिए 2 घंटे का समय मिलेगा। धनतेरस की पूजा में देवी लक्ष्मी, गणेश, धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। पूजा से पहले सामग्री के बारे में जाने लें। पूजा फूल, माला और आटे का हलवा, गुड़ के साथ धनिया के बीज या बूंदी के लड्डू अर्पित किए जाते हैं।
- धनतेरस पूजन मुहूर्त संध्या 5:48 से रात्रि 7:44 तक
- धनतेरस की पूजा प्रदोष काल 5:30 रात्रि 8:08 तक
- वृषभ काल संध्या 5:48 से रात्रि 7:44 तक
इस साल 10 नवंबर को धनतेरस मनाया जाएगा, इसके बाद नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली (11 नवंबर), दीपावली या दिवाली और लक्ष्मी पूजा (12 नवंबर), गोवर्धन पूजा (13 नवंबर), और भैया दूज (14 नवंबर) के दिन मनाई जाएगी।
ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चीजों में 13 गुना बढ़ोतरी होती है। इसी वजह से लोग इस दिन बर्तनों की खरीदारी के अलावा सोने-चांदी की चीज भी खरीदते हैं। भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना करने से जीवन में धन धन की संपन्नता बनी रहती है, वही इस दिन सोना चांदी या कोई बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।
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