मुजफ्फरपुर: सूबे के 58 संस्कृत विद्यालयों की मान्यता अटक गई है। मुजफ्फरपुर समेत सभी जिले के डीएम को इन सभी संस्कृत विद्यालयों की जांच का आदेश दिया गया है। सूबे में संस्कृत विद्यालयों की छह साल तक की अलग-अलग जांच के बाद 10 स्कूलों की प्रस्वीकृति बरकरार रही है। इन स्कूलों के शिक्षकों को नियोजित शिक्षकों की भांति वेतन भुगतान का आदेश मिला है। सूबे में चल रहे कुल 69 अराजकीय संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों को वेतन भुगतान का मामला कोर्ट में गया था। कोर्ट के आदेश पर इन सभी स्कूल की जांच को कमिटी बनी। 10 स्कूल को छोड़ बाकी की रिपोर्ट सही नहीं मिली है। संयुक्त सचिव संजय कुमार ने इसे लेकर निर्देश दिया है।
राज्य स्तर पर कमिटी बनाकर कराई गई जांच:
बिहार अराजकीय संस्कृत विद्यालय (प्रस्वीकृति एवं शर्त) संशोधन नियमावली 2013 के आलोक में 69 विद्यालयों के संबंध में निर्णय लिया गया था कि 1.9.2015 के प्रभाव से राज्य सरकार के अधीन प्राथमिक-मध्य-उच्च विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों को देय वेतन के समतुल्य सहायक अनुदान मद से उन्हें वेतन उपलब्ध कराया इस बीच उच्च न्यायालय, पटना ने दायर वाद में 69 विद्यालयों की प्रस्वीकृति की जांच का आदेश दे दिया। जांच के लिए 15.2.2018 को शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में त्रिसदस्यीय समिति का गठन किया गया। सचिव का स्थानांतरण हो जाने के कारण 7.12.2018 को शिक्षा विभाग के विशेष सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति का पुनर्गठन हुआ। पुनः 12.9.2022 को विशेष सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति का पुनर्गठन किया गया।
जिला पदाधिकारी से प्राप्त जांच प्रतिवेदन के अधिकांश मामलों में स्पष्ट मंतव्य के साथ अनुशंसा प्राप्त नहीं होने की स्थिति में पुनः विभाग द्वारा एक अलग से विभागीय जांच दल का गठन किया गया। त्रिसदस्यीय जांच समिति द्वारा नियमावली 1976 एवं 1993 के आलोक में प्रस्वीकृति संबंधी शर्तों के अनुसार विद्यालयवार जिला पदाधिकारी से प्राप्त प्रतिवेदन एवं विभागीय जांच दल के जांच प्रतिवेदन के आलोक में बिन्दुवार समीक्षा प्रतिवेदन तैयार किया गया। प्रतिवेदन में शर्त पूरी नहीं कर पाने की स्थिति में संबंधित विद्यालयों को दो वर्षों का समय दिया गया। अब संयुक्त सचिव ने एक बार फिर 10 विद्यालयों को छोड़ सभी की जांच रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही आगे मान्यता की कार्रवाई की जाएगी।
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