हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। इस शुभ अवसर पर कान्हा के भक्त व्रत रखते हैं और जन्माष्टमी का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन भगवान के बाल रूप की विशेष पूजा की जाती है। कृष्ण जन्मोत्सव के बाद, कृष्ण की पूजा होती है और रात 12 बजे के बाद पारण किया जाता है। ऐसा करने से भक्तों पर भगवान कृष्ण की हमेशा कृपा बनी रहती है और जीवन के सभी दुख दूर होते हैं।
कब है कृष्ण जन्माष्टमी?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की शुरुआत 6 सिंतबर 2023 को दोपहर करीब 3:37 मिनट से शुरु होगी और 7 सिंतबर 2023 को शाम 4:14 मिनट पर समाप्त होगा। इसी के साथ 6 सिंतबर को सुबह 9:21 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र का आरंभ होगा और 7 तारीख को सुबह 10:25 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगा। बता दें कि भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए इस साल 6 सिंतबर को कृष्णा जन्माष्टमी मनाया जाएगा। इस दिन जन्माष्टमी का व्रत रखने और कृष्ण जी की पूजा करने से विशेष लाभ होगा।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यानी 6 सिंतबर 2023 को रात 11 :47 मिनट से 12:42 मिनट तक कृष्ण जी की पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। इस विशेष योग में कान्हा की विधि-विधान से पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप में कृष्ण जी ने जन्म लिया था। इस शुभ मौके पर लड्डू गोपाल और शालिग्राम की विशेष पूजा की जाती है और उनका अभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन कृष्ण जी के बाल गोपाल रूप की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
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