मुजफ्फरपुर। मौसम की मार और लॉकडाउन से मायूस जिले के लीची उत्पादक किसानों के लिए बेंगलुरू की सुपर पल्म नामक कंपनी उम्मीद लेकर आई है। मुजफ्फरपुर की शाही लीची की बेंगलुरू में मांग बढ़ने के बाद कंपनी ने इस सीजन में 50 टन लीची की डिमांड की है। हालांकि, इस मांग को शाही के बदले चाइना लीची से पूरी करने की पहल जारी है। बुधवार को बंदरा प्रखंड के सिमरा गांव से रेफ्रिजरेटेड वैन से तीन टन लीची बेंगलुरू भेजी गई। कंपनी के आपूर्ति प्रबंधक सुनील तोमर खुद सिमरा गांव पहुंच प्रगतिशील किसान सह सफल व्यवसायी वीरेंद्र महतो के सहयोग से लीची की खेप ले जाने में रुचि दिखाई। वह अभी जिले में कैंप कर रहे हैं। गुरुवार को राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र का भी दौरा करेंगे। इसी बीच बिहार लीची उत्पादक संघ ने कंपनी को इस साल 50 टन चाइना लीची उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। वहीं संघ द्वारा कंपनी के साथ अगले सीजन से एक हजार टन लीची उपलब्ध कराने का करार किया जा रहा है। संघ अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि इस करार से इलाके के किसान व कारोबारियों को काफी राहत मिलेगी। अगले सीजन से उनकी तमाम परेशानियां दूर हो जाएंगी। बताया कि सिमरा गाव के किसान केशव नंदन के बागान से 29 मई को एक वैन लीची बेंगलुरू भेजी गई थी। इसकी वहां जबरदस्त मांग रही। कंपनी ने 50 टन का ऑर्डर दिया था। कमजोर उत्पादन से संघ इतनी लीची उपलब्ध कराने में सफल नही हो सका। अब चाइना लीची के जरिए इस लक्ष्य को पूरा किया जाएगा।
लीची उत्पादन में मुजफ्फरपुर अव्वल : लीची उत्पादन के लिए देश में मुजफ्फरपुर अव्वल है। बिहार में कुल 32 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है। इसमें जिले में ही 11 हजार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं। सूबे में पिछले साल 1000 करोड़ का लीची का व्यवसाय हुआ था। इसमें जिले की भागीदारी 400 करोड़ थी। इस बार 500 करोड़ से अधिक के कारोबार की उम्मीद है। हालांकि, बेमौसम बारिश व लॉकडाउन से इस साल लीची के बाग नहीं बिक सके थे। ऐसे में बाजार को लेकर अनिश्चितता का माहौल था। डाकघर के साथ करार कर होम डिलीवरी की व्यवस्था और अन्य प्रदेशों में आपूर्ति की प्रशासनिक पहल के बाद अब अन्य प्रदेशों तक लीची भेजी जा रही है। इसी बीच प्रतिष्ठित कंपनियां भी जिले का रुख करने लगी हैं।
Input: Jagran
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