सावन के तीन सोमवार बीत चुके हैं और 31 जुलाई 2023 को सावन का तीसरा सोमवार पड़ेगा। सावन मास के पवित्र महीने में भगवान शिव की अराधना और धर्म-कर्म के कार्यों का विशेष फल प्राप्त होता है। भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त: सावन के चौथे सोमवार पर सुबह 7 बजकर 26 मिनट से पहले किया गया रुद्राभिषेक बेहद शुभ फलदायी साबित होगा। इस मुहूर्त में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
रुद्राभिषेक की विधि: सावन के दौरान शिव अराधना और शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है और भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है। चलिए रुद्राभिषेक करने की सही विधि जानते हैं।
पूजा-सामग्री: रुद्राभिषेक करने के लिए पान का पत्ता, धूप,दीप, गाय की घी, फल, फूल, इत्र, कपूर, बेलपत्र, मिठाई, शहद,दही, गन्ने का रस, पंचामृत, गुलाबजल, चंदन, गंगाजल, सुपारी, नारियल, श्रृंगी समेत सभी पूजन सामग्री को इकट्ठा कर लें।
शुभ फलों की प्राप्ति के लिए रुद्राभिषेक की विधि:
1- सबसे पहले उत्तर दिशा में शिवलिंग स्थापित करें और पूर्व की ओर मुख करके बैठ जाएं। अब श्रृंगी में गंगाजल भरकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अब दूध, दही,गंगाजल, पंचामृत, गन्ने का रस भी श्रृंगी से शिवलिंग पर चढ़ाएं।
2- रुद्राभिषेक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र ‘ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥’ का जाप करें।
3- शिवलिंग पर बेलपत्र, पान का पत्ता, सुपारी, शमी के पत्ते, भांग और धतुरा चढ़ाएं और शिव जी को भोग लगाएं। इसके बाद भोलेनाथ समेत सभी देव-देवताओं की आरती उतारें। रुद्राभिषेक के जल को किसी पात्र में रख लें।
4-विशेष मंत्रों का जाप: महामृत्युंजय मंत्रों के साथ आप भगवान शिव के मूल मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ या ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं।
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