बेतिया, 12 जून। फाइलेरिया को हाथीपाँव के नाम से जाना जाता है। यह एक गंभीर बीमारी है जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद लोगों में कई वर्ष के बाद यह हाथीपांव, बढ़े हुए हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तनों में सूजन इत्यादि के रूप में लक्षण दिखाई देता है। यह कहना है जिले के डीभीबीडीसीओ हरेंद्र कुमार का। उन्होंने बताया कि इस बीमारी में शरीर अपंग की तरह हो जाता है। वहीँ उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मरीजों की देखभाल को स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रखंड एवं जिला स्तर पर कैंप लगाकर समय-समय पर फाइलेरिया के रोगियों के बीच एमएमडीपी किट मुफ्त में वितरण किया जाता है। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इसके उपयोग के तौर तरीके भी सिखाए जाते हैं। किट के प्रयोग से फाइलेरिया मरीजों को काफी राहत मिलती है ।
41मरीजों के बीच हुआ किट का वितरण:
जिले के चनपटिया प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार, बीसीएम बबिता कुमारी, फाइलेरिया इंचार्ज राजकुमार शर्मा ने बताया कि 41 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट उपलब्ध कराई गई है। भीबीडीएस प्रकाश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया मरीजों को किट के इस्तेमाल करने के तरीके भी बताए गए हैं। ताकि किट के सही तरीके से इस्तेमाल कर लाभ हो। उन्होंने बताया कि किट में एक छोटा टब, मग, साबुन, एंटी सैप्टिक क्रीम, पट्टी इत्यादि सामान होते हैं। इसके सहयोग से फाइलेरिया मरीज अपने जख्म को ठीक कर सकते हैं, जिससे उन्हें काफी राहत मिलती है।
दवा सेवन करने से नहीं रहता फाइलेरिया का भय:
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार ने बताया कि एमडीए अभियान के दौरान सर्वजन दवा का सेवन करने पर फाइलेरिया से ग्रसित होने का भय नहीं रहता है। भीबीडीएस प्रकाश कुमार, फाइलेरिया इकाई के राजकुमार शर्मा, सिंहासन चौधरी ने बताया कि जिले में 2635 हाथी पाँव के मरीज हैं। वहीं हाइड्रोसील के 538 मरीज हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि फाइलेरिया के मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग जरूर करें।
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