आपने बचपन में खरगोश और कछुए के बीच दौड़ की कहानी जरूर पढ़ी या सुनी होगी. फर्राटा भरने वाला खरगोश अति आत्मविश्वास के कारण दौड़ में कछुए से हार गया था. कुछ ऐसी ही कहानी मंगलवार को खंडवा में वनरक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान दोहराई गई. वनरक्षक भर्ती की दौड़ पहाड़ सिंह जीत कर भी हार गया. अति आत्मविश्वास ने साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया. फिजिकल के लिए वन विभाग ने 24 किलोमीटर की दौड़ रखी थी. 16 जिलों के प्रतिभागी दौड़ में शामिल होने पहुंचे थे. पहाड़ सिंह ने मात्र 3 घंटे में 21 किलोमीटर की दूरी तय कर ली. पीछे मुड़कर देखने पर 61 प्रतिभागियों का दूर दूर तक पता नहीं था।
पहाड़ सिंह ने सोचा कि प्रतिभागियों को पहुंचने में देर लगेगी, क्यों ना थोड़ी देर रुककर आराम कर लिया जाए. फिर क्या था आराम करने के लिए सड़क किनारे लेट गया. लेटते ही जोर की नींद लग गई. दौड़ खत्म होने के बाद भी उसकी आंख नहीं खुली. गिनती के दौरान वन अमले को पहाड़ सिंह गायब मिला. ढूंढने के लिए वन विभाग की टीम गाड़ी लेकर निकली. पहाड़ सिंह सड़क किनारे सोता मिला. वन विभाग की टीम के जगाने पर नींद टूटी मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. पहाड़ सिंह वनरक्षक भर्ती परीक्षा की सिर्फ 3 किमी दौड़ नहीं पूरा करने की वजह से हार गया. अन्य सभी 60 युवाओं ने दौड़ की परीक्षा पास कर ली. डीएफओ देवांशु शेखर ने बताया कि मंगलवार को अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवक-युवतियों की वनरक्षक पद की भर्ती के लिए दौड़ की परीक्षा थी।
चेकपोस्ट पर खड़े कर्मचारियों ने बताया कि 21 किमी की दूरी पहाड़ सिंह ने सुबह 9:17 बजे महज तीन घंटे में पूरी कर ली थी. दौड़ में सबसे आगे पहाड़ सिंह था. दौड़ खत्म होने के बाद भी सोते रहने से जीती बाजी हार गया. दौड़ पूरी करने से महज तीन किलोमीटर दूर था. पहाड़ सिंह ने कहा कि मैं एक साल से आर्मी की तैयारी कर रहा था. वनरक्षक पद की दौड़ में सबसे आगे मैं ही था लेकिन पैर में छाले आ गए थे. थकान के कारण सोचा कि सभी प्रतिभागी बहुत दूर हैं और थोड़ा देर आराम कर लेता हूं. लेकिन नींद ऐसी लगी कि दौड़ खत्म होने के बाद भी नहीं टूटी. बहुत दुःख हुआ कि जीतते-जीतते मैं हार गया. थोड़े से आलस्य ने साल भर की मेहनत को बेकार कर दिया।
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