पटना: जेडीयू छोड़कर अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन करने वाले उपेंद्र कुशवाहा अब नीतीश कुमार को सीधी चुनौती देने के मूड में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को ऐलान किया है कि वह विरासत बचाने के लिए यात्रा निकालेंगे। इस यात्रा की शुरुआत भी वह उसी स्थान से करने वाले हैं, जहां से नीतीश कुमार ने निकाली थी। यह जगह है- पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित गांधी आश्रम। नीतीश कुमार की ओर से तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक वारिस बनाए जाने के ऐलान से उपेंद्र कुशवाहा नाराज चल रहे थे। उन्होंने पार्टी छोड़ते वक्त तंज कसा कि नीतीश कुमार को पड़ोसी के घर में ही अपना उत्तराधिकारी नजर आया।
कुशवाहा ने ऐलान किया है कि वह 28 फरवरी से यात्रा की शुरुआत करेंगे। दिलचस्प है कि यह यात्रा वह उसी जगह से शुरू करेंगे, जहां से नीतीश कुमार ने की थी। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी अपनी जन सुराज यात्रा की शुरुआत यहीं से की थी। इस आश्रम से ही नीतीश कुमार ने 2005 के बाद से सभी यात्राओं की शुरुआत की थी। अब कर्पूरी ठाकुर की विरासत के नाम पर उपेंद्र कुशवाहा भी यहीं से अपनी यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘हमारी पार्टी बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है। कर्पूरी ठाकुर ने ऐसे बिहार की कल्पना की थी, जहां हर कोई खुश रहे।’
कुशवाहा-कुर्मी समुदाय को यूं संदेश देने की तैयारी
उन्होंने कहा कि आज उनकी विरासत से समझौता किया जा रहा है, जो सभी को समान हक दिलाने की बात करते थे। कुशवाहा ने कहा कि हम विरासत बचाओ यात्रा निकालेंगे। इसका समापन 28 मार्च को पटना में सम्राट अशोक की जयंती के मौके पर होगा। इस तरह उन्होंने कुर्मी वोटरों को जोड़ने की भी बात कह दी है। दरअसल सम्राट अशोक से कुर्मी समुदाय अपना ताल्लुक जोड़ता रहा है। ऐसे में उनकी जयंती पर यात्रा के समापन से कुशवाहा कुर्मी-कुशवाहा समुदाय को संदेश देना चाहते हैं। यदि इस वोट में सेंध लगती है तो नीतीश कुमार के लिए यह चिंता की बात होती है।
दो चरणों में होगी यात्रा, इन जिलों से होकर गुजरेगी
कुशवाहा की यात्रा पहले चरण में मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, अररिया, मधेपुरा, समस्तीपुर, सारण और सीवान से होकर गुजरेगी। इसके बाद दूसरे राउंड में यह यात्रा नालंदा से शुरू होकर शेखपुरा, भागलपुर, नवादा, गया, रोहतास, भोजपुर, अरवल होते हुए पटना में समाप्त होगी। कुशवाहा ने कहा कि जेडीयू में अब कुछ नहीं बचा है। समाजवादियों की विरासत खतरे में है। उसे बचाने के लिए ही मैंने यात्रा निकालने का फैसला लिया है। वहीं राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा खुद को जेडीयू में नंबर दो की पोजिशन पर देखना चाहते थे। इसकी संभावना न दिखने पर उन्होंने अलग होने का फैसला लिया।
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