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पूर्वी चंपारण में दवाई लेने के लिए लाइन में खड़े थे मरीज, स्वास्थ्य विभाग बांट रहा था जह’रीली दवाई

बिहार के पूर्वी चंपारण में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लाप’रवाही सामने आई है। विभाग की ओर से ग्रामीणों के लिए लगाए गए स्वास्थ्य मेले में एक्सपायर दवाएं बांटने की बात सामने आई है। मामला पताही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। जहां स्वास्थ्य मेले का आयोजन कर डॉक्टर और पीएचसी के कर्मचारी मरीजों को खराब दवाएं वितरित कर रहे थे। ये दवाएं एक्सपायर थीं। काली पड़ गई थीं। दवाएं स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह हानिकारक थी।

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मरीजों को दी एक्सपायर दवाई
स्वास्थ्य विभाग की ओर से डीएम के निर्देश पर हेल्थ फेयर का आयोजन किया गया था। जहां जरुरतमंदों मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान पीएचसी कर्मियों की ओर से मरीजों में बुखार और बदन दर्द की दवाएं वितरित की गईं। लेकिन, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ये सभी दवाएं एक्सपायर थीं। दवा पूरी तरह काली पड़ गई थी।

चिकित्सकों की मानें, तो ये मरीजों के लिए जहर साबित होने वाली थीं। खराब दवाई मिलते ही मरीज भड़क गए और उन्होंने दवाई लौटा दी। मौके पर मौजूद जिला परिषद स्वास्थ्य समिति के सदस्य श्याम सुन्दर सिंह ने कहा कि काले दवाओं की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों को दी जाएगी।

गुस्से में भड़’के ग्रामीण
खराब दवाई मिलने के बाद मरीज हंगामा करने लगे। मरीजों ने पीएचसी में अच्छी दवाओं की कालाबाजारी करने का आरोप लगाया। स्वास्थ्य मेले में आए ग्रामीणों को जो पेरासिटामोल की गोली दी गई। वो गोली एक्सपायर थी। ग्रामीणों का आरोप है कि अच्छी दवा स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी बाहर में बेच देते हैं। खराब दवा को ग्रामीणों में वितरित किया जाता है। स्थानीय ग्रामीण महिला प्रभा देवी और रामप्रवेश ने पीएचसी कर्मचारियों पर दवा घोटाले का आरोप लगाते हुए पहले भी खराब दवाई देने की बात कही।

सिविल सर्जन ने दिया जांच का भरोसा
इस मामले में जब एनबीटी ने सिविल सर्जन से इसकी जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही। सिविल सर्जन डॉ.अजनी कुमार ने दवाओं के काले होने की जानकारी से अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि दवाओं की जांच करायी जायेगी। साथ ही दवाओं के रख रखाव की भी जांच होगी। आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर ग्रामीणों के लिए हेल्थ फेयर का आयोजन करता है। जिसमें, भारी संख्या में ग्रामीण मरीज आते हैं। मरीज स्वास्थ्य मेले में इस आस में आते हैं कि उनकी बीमारी का सही इलाज होगा। लेकिन ऐसा नहीं होता।

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