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भारत की आजादी से कुदरत भी थी खुश, इंद्रधनुष से आसमान ने मनाया था जश्न

देश की आजादी का स्वागत सुहावने मौसम ने भी किया था। लालकिले पर जब झंडारोहण किया जा रहा था तो उस समय आसमान में इंद्रधनुष भी उतर आया था, जिसे देखकर स्वतंत्रता दिवस समारोह में आए लोग झूम उठे।

rainbow in delhi sky on 15 august 1947 while flag hoisting on lal qila - भारत की आजादी से कुदरत भी थी खुश, इंद्रधनुष उकेर आसमान ने मनाया था जश्न

लालकिले पर होने वाले समारोह को लेकर लोगों में खासा उत्साह था। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे। उस दिन मौसम भी मेहरबान था। सुहाने मौसम में लोगों का उत्साह तब और भी बढ़ गया जब उन्होंने आसमान में ध्वजारोहण के साथ इंद्रधनुष को भी तनते हुए देखा। डोमिनीक लापिएर व लैरी कॉलिंस ने अपनी किताब ‘आजादी-आधी रात को’ में भी इस घटना का जिक्र किया है।

उन्होंने लिखा…ऐसा लगता था कि प्रकृति ने भी इस क्षण की ऐतिहासिक छाप को और भी रंगीन बना देने की ठान ली थी। जैसे ही स्वतंत्र भारत का ध्वज ऊपर शिखर पर पहुंचा, वैसे ही आकाश पर अचानक इंद्रधनुष निकल आया।

लोगों को लगा कि इंद्रधनुष का निकलना जैसे कोई दैवीय संकेत है। सबसे अद्भुत बात यह थी कि इंद्रधनुष के हरे, पीले और नीले रंग भी उस कमान के बीचोबीच लहराते हुए झंडे के तीन रंगों जैसे ही लग रहे थे।

पांच लाख से अधिक लोग प्रिंसेस पार्क पहुंचे
15 अगस्त शाम 5 बजे इंडिया गेट पर नए भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाना था। माउंटबेटन को उनके सलाहकारों ने बताया था कि करीब 30 हजार लोग यहां मौजूद होंगे।
सारा प्रबंधन इसी हिसाब से किया गया था, लेकिन यह अंदाजा गलत निकला। करीब पांच लाख लोग वहां पहुंच गए। फिलिप टालबोट अपनी किताब एन अमेरिकन विटनेस टू इंडियाज पार्टीशन में लिखते हैं, भीड़ का दबाव इतना था कि उससे पिसकर माउंटबेटन के अंगरक्षक का घोड़ा जमीन पर गिर पड़ा। सबकी उस समय जान में जान आई जब वह थोड़ी देर में खुद ब खुद उठकर चलने लगा। माउंटबेटन की 17 वर्षीय बेटी पामेला भी दो लोगों के साथ उस समारोह को देखने पहुंची।
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