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मुजफ्फरपुर की शाही लीची का विदेश में भी धाक, यूरोप के इन दो देशों में पांव जमाने की कोशिश

मुजफ्फरपुर जिले की शाही लीची को इस बार भी विदेश भेजने की कवायद शुरू है। इसके लिए बाग का चयन किया गया है। क्वालिटी बेहतर होने के बाद पहले नमूना भेजा जाएगा। उसके बाद हवाई जहाज से लीची की खेप इंग्लैंड व जर्मनी भेजी जाएगी।

मिली जानकारी के मुताबिक, विदेश लीची भेजने की कवायद में जुटे युवा उद्यमी आलोक केडिया ने बताया कि 16 मई के बाद इस पर निर्णय होगा। अगर क्वालिटी बेहतर रही तो पहले नमूना जाएगा। केडिया के मुताबिक, 100 एकड़ में लगे लीची के बाग को इसके लिए उन्होंने अपने स्तर से चयन किया है। यह बाग ढोली, पूसा, साहेबगंंज और बोचहां इलाके में है। उन्होंने कहा कि वह पहले भी विदेश लीची भेजते रहे हैं।

लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने ऑनलाइन निबंधन के लिए पोर्टल पर किसानों को आमंत्रित किया है। विदेश भेजने के इच्छुक किसान निबंधन करा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इस बार बेहतर फलन हुआ है। एक लाख टन लीची के उत्पादन का लक्ष्य जिले का रहता है। 80 से 90 हजार टन उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले साल 60 से 70 हजार टन ही उत्पादन हुआ था।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक कृषि विज्ञानी डाॅ. विशालनाथ ने बताया कि यहां की शाही लीची प्रसिद्ध है। उसे देश के विभिन्न हिस्सों के साथ विदेश में भेजा जाता है। 12 हजार हेक्टेयर में मुजफ्फरपुर में लीची के बाग हैं।

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