कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का पूजन सभी घरों में होता है। ऐसा कहा जाता है कि दिवाली की पूजा प्रदोष काल में चौघड़िया योग और स्थिर लग्न देखने के बाद ही कोई काम करनी चाहिए। इस योग में की गई पूजा धन-धान्य में तो वृद्धि करती है साथ ही आपका धन कभी व्यर्थ नहीं जाता। यहां हम आपको बता रहे हैं दिवाली की पूजा के कुछ बातें जो हमें लक्ष्मी पूजन के समय ध्यान रखनी चाहिए:
दिवाली की पूजा में दीपक शुभ संख्या में रखने चाहिए। जैसे -51, 101, 151 आदि। इन्हें पूरे घर में प्रज्विल्लित करना चाहिए।
दिवाली के दिन तेल और घी के दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
दिवाली की पूजा में लक्ष्मी गणेश के साथ श्री यंत्र, गौरी, नवग्रह षोडशमातृका, महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती, कुबेर जी की भी पूजा करनी चाहिए।
दिवाली की पूजा में पूजा स्थल में कुछ दीपक रात्रि भर जलाने चाहिए। कहते हैं मां लक्ष्मी रात्रि में ही आपके द्वार आती हैं।
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घर के मुख्य द्वार को अशोक के पत्तों और फूलों के साथ रंगोली से सजाना चाहिए। अगर आप लक्ष्मी के पद चिन्ह लगा रहे हैं तो पदचिन्ह बाहर से अंदर की तरफ आने वाले नहीं होने चाहिए।
दिवाली की पूजा में अपने धन, जैसे सिक्कों की थैली, धन, चांदी व स्वर्ण को भी आदि को पूजा में रखना चाहिए। इसके बाद इन्हें अगले साल और आगे भी पूजा में इस्तेमाल करना चाहिए।
लक्ष्मी पूजन में स्थान और दिशा का ध्यान रखें। उत्तर या ईशान स्थान पर पूजा का पाठ या चौक रखें। आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
साथ ही घर के सिक्कों की थैली, धन, चांदी व स्वर्ण को भी पूजा के दौरान रखकर उनकी भी पूजा की जाती है।
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मा’ता लक्ष्मी के लिए भोग भी घर में शुद्ध त’रीके से बना’या गया होना चाहिए। मखा’ना, सिंघाड़ा, सीताफल (एक प्र’कार का फल) बताशे, केसर-भात ईख, ह’लुआ, खीर, अनार, पान, स’फेद और पीले रंग के मि’ष्ठान्न इनमें से कुछ पू’जा में रख सकते हैं। इसके साथ ही मा’ता लक्ष्मी को कमल का फू’ल और मेवे भी च’ढ़ाए जाते हैं।
पू’जा स्थल पर मग’ल कलश की पूजा भी हो’ती है। एक कांस्य या ताम्र क’लश में जल भर’कर उ’समें कुछ आम के पत्ते डाल’कर उसके मुख पर नारि’यल रखा होता है। कल’श पर रोली, स्वस्तिक का चिन्ह बना’कर उसके गले पर मौली बां’धी जाती है।
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