बिहार में जांच नहीं होने से बस संचालक स्कूल बस के नाम पर खटारा बसों को बेरोकटोक दौड़ा रहे हैं। मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों में संचालित स्कूल बसों की जांच पिछले एक साल से नहीं हुई है। इससे बसों में सफर करने वाले नौनिहालों की सुरक्षा खतरे में पड़ी हुई है। प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा परिवहन विभाग के अधिकारियों को समय-समय पर इसको लेकर निर्देश दिया जाता रहा है। इसके बावजूद विभाग को यह भी पता नहीं है कि जिले में कितनी बसें स्कूल बस के रूप में चल रही हैं।
मुजफ्फरपुर शहर के मिठनपुरा इलाके के सोहन कुमार ने बताया कि उन्होंने परिवहन विभाग से जिले में चल रहे स्कूल बसों की आरटीआई से जानकारी मांगी थी। सूचना के अधिकार के तहत आवेदन दिए चार महीने से अधिक बीतने के बाद भी विभाग से जानकारी नहीं मिली। उनका कहना था कि जिले में स्कूल बस के तौर पर चलने वाली अधिकांश बसें काफी पुरानी हो चुकी हैं। बस संचालक बाहर से रंगरोगन करा कर बसों को फिट दिखाने की कोशिश करते हैं, जो जांच होने पर पकड़ में स्वत ही आ जाएगी।
उन्होंने बताया कि पिछले साल तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त के आदेश पर स्कूल बसों की जांच कराई गई थी। उस समय 200 बसों की जांच में 147 को यात्री परिवहन के अनुपयुक्त पाया गया था। उनमें से अधिकांश बसों का परिचालन आज भी बदस्तूर जारी है। ऐसे में उसमें सफर करनेवाले बच्चों की सुरक्षा हमेशा दांव पर रहती है। कभी भी कोई बड़ी अप्रिय घटना हो सकती है।
चुनावों के कारण नहीं हो सकी जांच
डीटीओ कुमार सत्येन्द्र यादव ने बताया कि जल्द ही सभी स्कूल प्रबंधनों को नोटिस भेजकर बस की जांच करवाने का निर्देश दिया जाएगा। पहले लोकसभा और अब पैक्स व एमएलसी चुनाव के कारण देरी हुई है। जांच के दौरान जो भी बस अनफिट मिलेगी, उसके संचालक पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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