बोधगया का महाबोधि मंदिर जहां 2500 वर्ष पूर्व सिद्धार्थ गौतम को इसी स्थान पर बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और वे सिद्धार्थ से भगवान बुद्ध बने।बौद्ध धर्म से जुड़े दर्जनों देशों के बौद्ध भिक्षु और पर्यटक यहां आते है. मंदिर के रखरखाव और संचालन के लिए 1949 में बोधगया मंदिर प्रबन्धकारिणी समिति (बीटीएमसी) का गठन किया गया है. जिसका अध्यक्ष गया के डीएम होते हैं जो अभी डॉ त्यागराजन एसएम है।
वर्ष 2002 में यूनेस्को द्वारा महाबोधि मंदिर को विश्व धरोहर की मान्यता दी गई. मिली जानकारी के अनुसार 13 से 16 सितंबर के बीच बिना किसी अनुमति के सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हुए विदेशी पर्यटकों से मोटी रकम लेकर प्रतिबंधित पहले तल्ले के गर्भगृह में एक लंबा एसी लगाया गया है. जिसका आउटडोर लगाने के लिए लकड़ी के दरवाजे को काटा गया है और मंदिर की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया है. मंदिर के प्रथम तल्ले पर लगे आउटडोर के कंपन से उसके ढांचे को हानि पहुंच रही है. वहीं एसी द्वारा निकलने वाला पानी का कोई भी निकासी नहीं बनाया गया है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा भी मंदिर के पहले तल्ले पर किसी भी प्रकार की तोड़ फोड़ नहीं की गई है. बीटीएमसी के द्वारा यह एसी की खरीदारी नहीं की गई है. इतने बड़े एसी को मंदिर के सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों द्वारा जाने कैसे दिया गया, जो जांच का विषय हैं.बताया जा रहा है कि वर्ष 2008 से बीटीएमसी के सदस्य पद पर जमे अरविंद सिंह के द्वारा विभिन्न देशों के महाविहार में सांठगांठ कर उनके देश के बड़े-बड़े टूर ऑपरेटरों से सम्पर्क कर वीआईपी दर्शन के लिए मोटी रकम वसूली जाती है।
इसी क्रम में विदेशी पर्यटकों से मोटी रकम लेकर बिना बीटीएमसी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की अनुमति के मंदिर के प्रथम तल्ले पर एसी लगाया गया है. इसके साथ यहां एक दान पात्र भी है, लेकिन एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं हैं. आपको बता दे कि महाबोधी मन्दिर के सुरक्षा के साथ पूरी तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है. जिससे लाखों बौद्ध धर्मावलंबियों को आहत पहुंच सकती है।
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