हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। लेकिन हिंदू धर्म में कार्तिक माह में आने वाली पूर्णिमा अत्यंत पवित्र व खास मानी गई है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है। देव दिवाली को देवताओं के दीवाली के उत्सव के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के अंत की खुशी में देवताओं ने संपूर्ण स्वर्गलोक को दीयों से प्रकाशित किया था, जिसे दीपावली का रूप दे दिया गया। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर प्रारंभ होगी और अगले दिन 16 नवंबर 2024 को तड़के 02 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 15 नवंबर 2024, शुक्रवार को रखा जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्क सुबह 04 बजकर 58 मिनट से सुबह 05 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस दिन सत्यनारायण पूजा का मुहूर्त सुबह 06 बजकर 44 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। चंद्रोदय टाइमिंग शाम 04 बजकर 51 मिनट है। देव दिवाली के दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 10 मिनट से रात 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
कई भक्त कार्तिक स्नान करते हैं। यानी प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना होता है। अगर नदी में स्नान करना संभव नहीं है तो घर पर भी कर सकते हैं। कार्तिक स्नान का आरंभ शरद पूर्णिमा से होता है तथा इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया जाता है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन तुलसी पूजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति की मान्यता है।
Be First to Comment