वर्ष 2005 के बाद इस बार पह’ला मौका है जब लोज’पा 100 से अधिक सीटों पर चु’नाव लड़ने जा रही है। वर्ष 2010 में 75 व 2015 में 42 सीटों पर उसके पहल’वान मैदान में उतरे थे। इस बार पार्टी का ऐ’लान है कि वह 143 सीटों पर तैया’री की है। हा’लांकि कितने उम्मी’दवार को वह मै’दान में उता’रेगी यह अभी तय नहीं है। इत’ना जरूर है कि 100 से अधिक सीटों पर वह ल’ड़ेगी। इस तरह देखें तो लंबे सम’य बाद वह इतनी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। यह भी एक वजह है कि पार्टी को प्रत्या’शियों के चयन को लेकर काफी मंथन चल रहा है।
यह भी एक वजह है कि प्रत्या’शियों के चनय में विलंब भी हो रहा है। पहले चरण की सूची नामां’कन दाखिल करने के अंतिम तारीख आठ अक्टूबर को पार्टी ने जारी की थी। पहले चरण में उसके 42 उम्मीदवार मैदान में हैं। अधिक सीटों पर लड़ने के बाद उसे कितनी सफ’लता मिलती है, यह तो चुनाव परिणाम बताएगा। लेकिन इतना जरूर है कि पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह है। अधिक-से अथिक पार्टी कार्यक’ताओं को टिकट मिल सका है।
अकेले लड़कर जीती थी अधिक सीटें
पिछला रिकॉर्ड देखें तो अकले लड़कर ही लोजपा अधिक सीटें प्राप्त की थी। वर्ष 2000 में पार्टी के गठन के बाद पहली बार फरवरी 2005 में बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ी थी। उस चुनाव में लोजपा का किसी दल से गठबंधन नहीं था, पर कांग्रेस से उसका तालमेल जरूर था। 2005 में 178 सीटों पर वह चुनाव लड़ी और 29 पर विजयी हुई। इतनी सीटें फिर लोजपा को अब-तक प्राप्त नहीं हुईं। वर्ष 2005 अक्टूबर-नवंबर में हुए चुनाव में लोजपा दस सीटें जीती थीं, तब वह 203 सीटों पर उम्मीदवार उतारी थी। 2010 में उसका राजद से गठबंधन था, जिसमें उसे 75 सीटें मिलीं। इस चुनाव में लोजपा के तीन उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे सके थे। वहीं 2015 में एनडीए के साथ लोजपा थी और वह 42 सीटों पर लड़ी, जिसमें उसे दो पर ही सफलता मिली।
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