बिहार के रास्ते केंद्र की सत्ता पर काबिज होने की दमदार कोशिश कर रहे विपक्षी दलों का अभियान सुस्त पड़ता दिख रहा है और इस अभियान की अगुवाई करने वाले नीतीश कुमार भी इस गठबंधन में ज्यादा सहज महसूस नहीं कर रहे हैं. INDI गठबंधन की कई बैठकों के बाद भी सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर बात नहीं होना। कांग्रेस के द्वारा 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव तक इसे टाले रखना और चार राज्यों में कांग्रेस को हालिया विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार भी नीतीश को असहज कर रही है। लोकसभा चुनाव 2024 सिर पर है ऐसे में नीतीश कुमार कभी भी खेला कर सकते हैं और इसकी कई वजहें भी हैं।
नीतीश कुमार को लगने लगा है कि कांग्रेस गठबंधन को लेकर और इसमें शामिल साथी दलों को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है. हाल में संपन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में जिस तरह कांग्रेस ने इन गठबंधन सहयोगी दलों की अनदेखी की उसी का नतीजा रहा कि कांग्रेस और भाजपा के सामने अन्य दलों के उम्मीदवार भी मैदान में उतरे और कांग्रेस के हाथ से राजस्थान, छत्तीसगढ़ की सत्ता तो गई ही मध्यप्रदेश में मजबूत देख रही कांग्रेस का बंटाधार भी हो गया.
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