पटना: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है. भाजपा अगले साल लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन को रोकने के लिए इस बार कोई कोताही बरतने के मूड में नहीं है. कहा जा रहा है कि जिस तरह बिहार की परिस्थितियां बनी हुई है, उसमे भाजपा के नेता अभी नहीं तो कभी नहीं के मूलमंत्र को लेकर चुनावी तैयारी में जुट गए हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी अपने आक्रामक तेवर के साथ न केवल बयानों से विरोधियों को घेरने में जुटे हैं बल्कि महागठबंधन को परास्त करने के लिए नई टीम के जरिए नई बिसात बिछा रहे हैं। चौधरी ने बिहार भाजपा के 45 संगठनात्मक जिलों में जिला प्रभारियों का नए सिरे से तैनाती की है। इन प्रभारी नियुक्ति में प्रदेश अध्यक्ष ने जहां जिलों के जातीय समीकरण का ख्याल रखा है, वहीं जमीनी स्तर पर भी पार्टी की हकीकत के जानकार को स्थान दिया गया है. सूची में अनुभवी और युवा का सामंजस्य बैठाने की कोशिश की है।
जदयू के अलग होने के बाद से ही भाजपा ने बिहार की सभी 40 सीटों पर तैयारी शुरू कर दी थी. इस रणनीति के बाद यह साफ है कि कुछ सीटों पर भले ही सहयोगी चुनाव मैदान में होंगे, लेकिन जीत की रणनीति भाजपा के हाथों में ही होगी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने दो दिसंबर को लोकसभा क्षेत्र में जीत तय करने और उसकी किलेबंदी को लेकर नए सिरे से संसदीय क्षेत्र प्रभारियों की भी घोषणा की थी. इस सूची में पूर्व अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल के प्रदेश समिति के कई पदाधिकारियों को रखा गया है।
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