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“विशेष राज्य के दर्जे की आड़ में छिपा रहे अपनी नाकामी, मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए” चिराग पासवान

पटना: पटना में आयोजिक एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के दर्जा की मांग उठाकर सियासत को गर्म कर दिया है। सीएम नीतीश ने एलान किया है कि वे जल्द ही इसको लेकर यात्रा पर निकलेंगे। मुख्यमंत्री के इस एलान पर लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने हमला बोला है। चिराग ने कहा है कि इतने सालों तक बिहार का मुख्यमंत्री रहने के बाद विशेष राज्य के दर्जा की मांग करना नीतीश की नाकामी को दर्शाता है।

Nitish Kumar: Nitish Kumar gets angry at English again, this time inside  legislature | India News - Times of India

चिराग पासवान ने कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए। 19 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद अगर विशेष राज्य के दर्जा के लिए मुहिम चलाना पड़े तो यह सरकार की विफल नीतियों को दर्शाता है। आखिर क्यों नहीं 19 सालों में बिहार को इतना सक्षम बनाया ताकि बिना किसी के आगे हाथ फैलाए बिहार को आगे बढ़ाया जा सके। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोई एक भी ऐसी योजना बता दें जिससे बिहार का राजस्व बढ़ा हो।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने किसी भी क्षेत्र में राजस्व को बढ़ाने की कोशिश नहीं की। अगर राजस्व को नहीं बढ़ाया जाता है तो आज से सौ साल बाद भी विशेष राज्य के दर्जा की मांग करते रहेंगे। इसके लिए न सिर्फ मुख्यमंत्री बल्कि पूरे गठबंधन को शर्म आनी चाहिए। 34 वर्षों तक राज करने के बाद आज विशेष दर्जा की याद आई है। 34 साल में भी सरकार बिहार की अर्थव्यवस्था को इतना आगे नहीं बढ़ा सकी कि ताकि राज्य आत्मनिर्भर बन सके।चिराग ने कहा कि नीतीश कुमार को विशेष राज्य के दर्जा की जरुरत बिहार के लिए नहीं है बल्कि वे अपने भ्रष्टाचार को और आगे बढ़ा सकें। चुनाव आने वाले हैं ऐसे में इन्हें चुनाव में खर्च करने के लिए और पेसौं की जरुरत है। केंद्र सरकार ने बिहार को विभिन्न योजनाओं में कितने पैसे दिए लेकिन इन्होंने खर्च कितना किया और कितनी राशि वापस लौटानी पड़ी है मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए। जो लोग केंद्र की योजनाओं के पैसों में धांधली करते हैं वे विशेष राज्य के पैसों का भी इस्तेमाल करेंगे।

जमुई सांसद ने कहा कि आखिर कौन सी वजह है कि 34 साल के बाद मुख्यमंत्री को अचानक याद आ गया कि वे विशेष दर्जा के लिए यात्रा निकालेंगे। जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो उस वक्त केंद्र में यूपीए की सरकार थी, उस वक्त क्यों नहीं विशेष राज्य के दर्जा के लिए यात्रा निकाली थी। जब डबल इंजन की सरकार बनी तब क्यों नहीं मांग उठाई। जिस मंच पर मांग करनी चाहिए वहां जाते नहीं हैं। नीति आयोग की बैठक से इनको बैर है, वहां जाकर बात नहीं करेंगे।

नीतीश कुमार किसको मुर्ख बना रहे हैं। क्या वे समझते हैं कि सब लोग यहां मुर्ख बैठे हुए हैं। नीतीश कुमार अपनी बुद्धि सिर्फ इस बात में लगाते हैं कि उन्हें राजनीतिक लाभ कैसे उठाना है। सही में अगर विशेष राज्य का दर्जा चाहिए था तो जब मुख्यमंत्री बने थे उस समय मांग उठानी चाहिए थी। जिससे मांग करनी चाहिए थी, जिन्होंने इन्हें विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया उनके साथ गठबंधन कर लिया।

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