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कामधेनु का वो मंदिर जहां पूरी होती है हर मुराद! जानिए क्या 14 महारत्नों की मान्यता?

बांका: आपने अब तक गो माता कामधेनु की चर्चा ग्रंथों, धार्मिक पुस्तकों व धर्म प्रसंगों में ही सुनी होगी। इनका विश्व विख्यात मंदिर भी है, यह कम ही लोग जानते हैं। कामधेनु की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। समुद्र मंथन में मथनी के रूप में मंदार पर्वत का उपयोग देवता और असुरों ने किया था। स्कंद पुराण में भी मंदार पर्वत के प्रमाण मिलते हैं। मंदार बिहार के बांका जिला में स्थित है। पर्वत के पूर्वी भाग में कामधेनु माता का मंदिर है। यह श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है। लाखों श्रद्धालु अपनी मुरादें मांगने कामधेनु मंदिर पहुंचते हैं। गौ माता उनकी मन्नतें पूरी भी करती हैं। यही कारण है कि मंदार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

Hindustan Special The temple of Kamdhenu where every wish comes true Know  what is the recognition of 14 Maharatnas - हिन्दुस्तान स्पेशल: कामधेनु का वो  मंदिर जहां पूरी होती है हर मुराद!

14 महारत्नों में तीन के प्रमाण
यहां के भगवान नरसिंह मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मंदार पर्वत को मथनी बनाकर समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथन में 14 महारत्नों की प्राप्ति हुई थी। इनमें हलाहल विष, कामधेनु और ऐरावत के प्रमाण यहां मौजूद हैं।  हलाहल विष का प्रमाण मंदार पर्वत के मध्य स्थित शंख कुंड में अवस्थित पांचजन्य शंख के दर्शन में मिलता है। पर्वत की तराई वाले पूर्वी भाग में कामधेनु गौ माता साक्षात विराजमान हैं। पंडित भवेश का दावा है कि अब तक उपलब्ध स्रोतों से पता चलता है कि विश्व में कहीं भी कामधेनु माता का मंदिर नहीं है। श्रद्धालु यहां आते हैं और कामधेनु गौ माता के कान में अपनी मुरादें कहते हैं। मैया उनकी मुरादें अवश्य पूरी करती हैं।

अत्यंत दुर्लभ है माता कामधेनु की प्रतिमा
मंदार पर शोध लेखन का कार्य कर रहे इतिहासकार कहते हैं कि कामधेनु मंदिर अवस्थित माता कामधेनु की प्रतिमा अत्यंत दुर्लभ है। अबतक ऐसी प्रतिमा विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिली है।  इस स्थल से मंदार शिखर का दर्शन अद्भुत स्वरूप में होता है। संपूर्ण पर्वत एक ही शिला से निर्मित विशाल शिवलिंग जैसा दिखता है।कामधेनु की प्रतिमा भी काफी प्राचीन और दुर्लभ है। ऐसी प्रतिमा अबतक कहीं भी देखने को नहीं मिली है।

सौंदर्यीकरण पर 5 करोड़ का खर्च
मंदार आने वाले पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या देखकर यहां का कायाकल्प किया गया। कामधेनु मंदिर परिसर 10 एकड़ भू भाग में फैला हुआ है। पर्यटन विभाग ने इसके सौंदर्यीकरण पर करीब 5 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। यहां शिव गंगा के चारों तरफ सीढ़ियां, चहारदीवारी के साथ-साथ अन्य मंदिर व चौड़ी सड़क का भी निर्माण कराया गया है। मंदिर के चारों ओर पेवर्स टाइल्स, पार्क, वाटर सप्लाई, अत्याधुनिक धर्मशाला, सड़क एवं हाईमास्ट लाइट की व्यवस्था की गयी है।

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