बिहार: सावन का महीना भगवान शिव को सबसे प्रिय है। इस पवित्र महीने में ही महिलाएं सभी मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखती हैं। यह व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। व्रत वाले दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है और उन्हें सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है। इस साल 4 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है। खास बात यह है कि इस दिन मंगलवार भी है। इसलिए सावन का पहला मंगला गौरी व्रत सावन के पहले दिन ही पड़ रहा है।
इस बार कुल 9 मंगला गौरी व्रत
सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन में 9 मंगला गौरी व्रत हैं। जबकि हर साल 4 या 5 ही मंगला गौरी व्रत होते हैं। इस बार ज्यादा मंगला गौरी व्रत होने का कारण सावन में अधिक मास का जुड़ना है। बता दें कि इस बार सावन 59 दिनों का हो रहा है।
जानें किस-किस दिन है मंगला गौरी व्रत
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई को है। इसी दिन सावन की शुरूआत भी हो रही है। इसके बाद दूसरा मंगला गौरी व्रत 11 जुलाई को, तीसरा 22 अगस्त को, चौथा 29 अगस्त को है। 18 जुलाई से अधिक मास जुड़ने के कारण अगला मंगला गौरी व्रत क्रमश: 18 जुलाई, 25 जुलाई, 1 अगस्त, 8 अगस्त और 15 अगस्त को है।
जानें क्या है व्रत का महत्व
1. मंगला गौरी व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है। इसके अलावा, महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत रखती हैं।
2. मंगला गौरी व्रत रखने से दांपत्य जीवन की समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।
3. जो लोग संतानहीन हैं, उन्हें भी मंगला गौरी व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
इस दिन सुबह स्नान के बाद व्रत और पूजा किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त में मां गौरी के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन माता पार्वती को अक्षत्, कुमकुम, फूल, माला, सोलह श्रृंगार की सामग्री, सुहाग की पिटारी, लाल चुनरी, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं। जबकि भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, गंगाजल, चंदन, फूल आदि से पूजन करते हैं।
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