पटना: स्थानीय सिविल कोर्ट के लोक अभियोजक अरुण कुमार सिंह का निधन हो गया। शुक्रवार दोपहर में उन्हें हार्ट अटै’क आया और उनका नि’धन हो गया। उन्होंने जिला मुख्यालय, डुमरा स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। वे करीब एक सप्ताह से सांस लेने की परेशानी से जूझ रहे थे। उनके निधन के खबर जिले में शो’क की लहर दौड़ पड़ी। इसके बाद अरुण बाबू के आवास पर उनके शुभचिंतकों का पहुंचना शुरू हो गया। देखते ही देखते उनके अंतिम दर्शन के लिए भीड़ जुट गई। अरुण कुमार सिंह के पीछे परिवार में पत्नी और एक बेटा है। मालुम हो कि, अरुण कुमार सिंह वर्षो से फौजदारी मुकदमा में बतौर अधिवक्ता अपनी एक अलग पहचान रखते थे। उन्हें सीएम नीतीश कुमार का खास करीबी बताया जाता था। ऐसा कहा जाता है कि, सीएम नीतीश कुमार जब भी सीतामढ़ी के भ्रमण पर आते थे, वो कोशिश करते थे कि अरुण बाबू के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात कर लें। नीतीश कुमार का अरुण सिंह से दिल से लगाव था। ऐसे में अब उनके नि’धन की खबर सुनकर सीएम भी मर्माहत हैं। इसके साथ ही उनके निध’न पर राजनीतिक गलियारों में भी शोक की लहर दौड़ रही है। इसके बाद अरुण कुंजर सिंह की निधन की खबर सुनकर लोजपा (पारस) के नेता आशुतोष पांडेय भी उन्हें श्रदांजलि अर्पित करते हुए उनेक साथ के यादों को दोहराया।
आशुतोष पांडेय ने कहा कि, अरुण कुमार सिंह से मेरा बेहद ही सुखद रिश्ता रहा है। वह एक शानदार स्मृति के धनी थे। उनको हमलोग प्यार से “अरुण बाबू” कहते थे और अब वो हमारे बीच नही रहे। ऐसा लग रहा कि एक बड़ा वृक्ष गिर गया है। विगत पांच वर्षों से उनके करीब रहने का मौका मिला जब भी उनके पास होते थे हमेशा कुछ सीखने को ही मिलता था। उनसे मिलना उनसे बात करना समाज के किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत सरल था। अरुण बाबू खुद में एक संस्था थे उनके जाने से सीतामढ़ी ही नही बल्कि पूरा बिहार एक विद्वान शख्स को आज खो दिया है। उनके जाने से समाज मे एक खालीपन हो गया है जिसकी भरपाई करना मुश्किल है। इंसान शरीर छोड़ कर चले जाते है लेकिन उनके विचार नही।अरुण बाबू हम सभी के लिए हमेशा जीवित रहेंगे।
आपको बताते चलें कि, समाहरणालय गोलीकांड को लेकर लोक अभियोजक अरुण सिंह काफी चर्चित हुए थे। जब उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की बात मानने से इनकार कर दिया था। गो’लीकांड के मुकदमे को वापस लेने से अरुण सिंह ने मना कर दिया था। वे इस गोलीकांड में मारे गये पूर्व विधायक रामचरित्र राय समेत पांच मृ’तकों को न्याय दिलाने तक शांत नही बैठे थे। यह गो’लीकांड 11 अगस्त 1998 को हुआ था। इसमें दो पूर्व सांसद और एक विधायक समेत 15 आरो’पितों को 10-10 साल की सजा मिली थी।
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