पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बयान से सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को आगे बढ़ा रहे हैं या फिर वे खुद कमजोर हो रहे हैं? हाल ही में कैबिनेट विस्तार के मुद्दे पर सीएम नीतीश ने कहा कि इस बारे में फैसला तेजस्वी यादव करेंगे। वैसे तो कैबिनेट में किस मंत्री को रखना है या नहीं रखना है, इसका फैसला सीएम के पास होता है। मगर नीतीश की इस बात से सब हैरान हैं। आइए जानते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस बयान के क्या मायने हैं।
अगस्त 2022 में एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय राजनीति में जाने की घोषणा की। इसके बाद उन्होंने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और कहा कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। जेडीयू नेता नीतीश कुमार को विपक्ष के पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि नीतीश राष्ट्रीय राजनीति में जाएंगे, तो बिहार की कमान तेजस्वी का हाथों में आ जाएगी।
बिहार में सात दलों का महागठबंधन है, जिसके मुखिया नीतीश कुमार हैं। पिछले महीने नीतीश कैबिनेट के विस्तार की अटकलें लगना शुरू हो गईं। कांग्रेस ने मांग उठाई कि विधायकों की संख्या के आधार पर कैबिनेट में उसकी पार्टी के मंत्रियों की संख्या कम है। इसे दो से बढ़ाकर चार किया जाए। जनवरी महीने में जब सीएम नीतीश से पत्रकारों ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि जल्द ही कैबिनेट विस्तार होगा और कांग्रेस से नए मंत्री बनाए जाएंगे।
इसके बाद 2 फरवरी को तेजस्वी यादव ने नीतीश की बात काट दी और कहा कि महागठबंधन में कैबिनेट विस्तार को लेकर कोई बात ही नहीं हुई है। इसके बाद दो दिन पहले जब सीएम नीतीश से फिर सवाल किया गया तो उन्होंने गेंद तेजस्वी के पाले में डाल दी। उन्होंने कहा कि कैबिनेट विस्तार के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है, तेजस्वी यादव से पूछिए। नीतीश कुमार के इस बयान से सभी हैरान हो गए।
नीतीश कमजोर पड़ रहे?
सीएम नीतीश के कैबिनेट विस्तार का फैसला तेजस्वी यादव पर डालने से बिहार के सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कांग्रेस कंफ्यूजन में है कि पहले मुख्यमंत्री ने कैबिनेट विस्तार पर हामी भरी, फिर अब वे तेजस्वी से पूछने के लिए कह रहे हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह यह तक कह चुके हैं कि यह तेजस्वी की कैबिनेट नहीं, बल्कि नीतीश की है।
दूसरी ओर, विपक्षी दल भी इस पर चुटकी लेने में पीछे नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री एवं रालोजपा के मुखिया पशुपति पारस ने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब उतने ताकतवर नहीं रहे हैं। किसी राज्य के मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला मुख्यमंत्री ही लेता है। मगर बिहार में नीतीश यह फैसला अपने डिप्टी सीएम पर डाल रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि नीतीश कमजोर पड़ रहे हैं और तेजस्वी ताकतवर हो रहे हैं।
सियासी जानकारों का यह भी मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठान लिया है कि वह आने वाला समय राष्ट्रीय राजनीति में बिताने जाते हैं। उनकी लोकसभा चुनाव से पहले देश की यात्रा पर भी निकलने की योजना है। ऐसे में वे तेजस्वी यादव को सीएम का रोल समझा रहे हैं। कोलकाता में पीएम नरेंद्र मोदी की बैठक हो या गृह मंत्री अमित शाह की मीटिंग, नीतीश ने खुद शामिल न होकर उनमें तेजस्वी को भेजा। अब कैबिनेट विस्तार का फैसला भी डिप्टी सीएम पर डाल दिया। ये सब इसी रणनीति का हिस्सा है।
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