बिहार में नीतीश कुमार भले ही बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन में आ गए और सरकार भी बना ली। मगर सत्ता परिवर्तन के बाद से कुछ न कुछ वि’वाद होते ही जा रहे हैं। महागठबंधन में आरजेडी भले ही विधायकों और मंत्रियों की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी हो, लेकिन सत्ता के पावर की चाबी अब भी नीतीश कुमार के हाथ में ही है। तेजस्वी यादव भले ही डिप्टी सीएम बन पर उनकी पार्टी के मंत्रियों के मनमुताबिक काम नहीं हो पा रहे हैं। ख़बरों के मुताबिक, ब्यूरोक्रेट्स को लेकर अब महागठबंधन में टेंशन पैदा हो गई है।
आरजेडी के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पार्टी के कुछ मंत्री नीतीश कुमार से नाराज हैं। उन्हें न तो अपने मनमुताबिक सचिव मिले और न ही विभागों में अधिकारी उनकी इच्छा से बन पाए। पिछले दिनों कृषि मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले आरजेडी के सुधाकर सिंह ने भी आरोप लगाए कि नीतीश सरकार में मंत्री सिर्फ रबर स्टांप हैं। उन्हें अपने विभाग से ही जरूरी जानकारियां नहीं मिल पाई थी।
सुधाकर सिंह ने सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की और फिर उन्हें कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा। बताया जा रहा है कि महागठबंधन सरकार में शामिल आरजेडी के अन्य मंत्रियों का भी ये ही हाल है। मगर पार्टी की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए वे चुप बैठे हुए हैं। बता दें कि पिछले दिनों आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी नेताओं को नीतीश कुमार या जेडीयू के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं करने की सख्त दे रखी है।
आरजेडी पर हावी जेडीयू
अभी आरजेडी बिहार में भले ही सबसे बड़ी पार्टी है मगर सत्ता में जेडीयू का दबदबा है। बिहार में सरकार और मंत्री बदल गए हैं, लेकिन अधिकतर विभागों की कार्यशैली एनडीए शासन काल वाली ही है। आरजेडी नेता ने बताया कि आरजेडी तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाना चाहती है। मगर जेडीयू ऐसा नहीं होने दे रही है। इस कारण पार्टी कोई बड़ा कार्यक्रम भी आयोजित नहीं कर पा रही है। हाल ही में जननायक जयप्रकाश की जयंती पर भी सारा माहौल नीतीश कुमार ने लूट लिया।
उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवारों के प्रचार से नीतीश दूर
बिहार में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में भी मोकामा और गोपालगंज दोनों सीटों पर महागठबंधन की ओर से आरजेडी उम्मीदवार उतारे गए हैं। मगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से अभी तक उम्मीदवारों के समर्थन में बयान तक नहीं आया है। बताया जा रहा है कि दोनों सीटों पर दबंग छवि के उम्मीदवार होने के चलते नीतीश उपचुनाव से दूरी बनाए हुए हैं। हालांकि, मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के प्रचार के लिए उन्होंने जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह को भेज दिया है।
महागठबंधन में कैसे खत्म होगी टेंशन?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आरजेडी और जेडीयू में अंदरखाने विवाद जारी है। अगर इसका सटीक समाधान नहीं निकला तो ये विवाद आने वाले दिनों में खुलकर सामने आ जाएगा। आरजेडी चाहती है कि तेजस्वी यादव आगे बढ़ें और उन्हें पावर मिले। आरजेडी के नेता कई बार तेजस्वी यादव के जल्द बिहार का सीएम बनने की भविष्यवाणी कर चुके हैं। अगर नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति में जाते हैं, तो बिहार की सत्ता तेजस्वी यादव के हाथों में आ सकती है।
दूसरी ओर, जेडीयू नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते हैं। नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे तो हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी है। सभी दलों की अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं, जिस कारण बात नहीं बन पा रही है। नीतीश का विपक्षी एकजुटता का अभियान अभी ठंडा पड़ा हुआ है। अब बिहार में उपचुनाव के बाद ही इसके आगे बढ़ने की संभावना है।
जेडीयू और आरजेडी के रास्ते फिर होंगे अलग?
महागठबंधन में अंदरखाने जारी खींचतान ने इस बात को हवा दे दी है कि नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ जा सकते हैं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी दावा किया कि नीतीश जल्द महागठबंधन का साथ छोड़ेंगे। इसके बाद महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के मुखिया और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने भी कह दिया कि अगर नीतीश बिहार के हित में कोई और गठबंधन करने का कदम उठाते हैं, तो वे उनके साथ रहेंगे। हालांकि, नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि वे अब मरते दम तक बीजेपी के साथ नहीं जाने वाले हैं।
Be First to Comment