उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर का काम पूरा हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे। न्यूज एजेंसी एएनआई ने उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर की तस्वीरें ट्वीट कर इसकी जानकारी दी हैं। इस कॉरिडोर की कुल लागत 793 करोड़ रुपए है। महाकाल कॉरिडोर को दो चरणों में बनाया गया है। यह कॉरिडोर अब पूरी तरह बन कर तैयार हो चुका है। 11 अक्टूबर को पीएम मोदी इसका उद्घाटन करेंगे।
199 मूर्तियां स्थापित
उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर को दो चरणों में बनाया गया है। कॉरिडोर में भगवान शिव और उनसे संबंधित घटनाओं की कुल 199 मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इस कॉरिडोर के निर्माण में कुल 793 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने 271 करोड़ रुपए दिए थे, इसके अलावा 421 करोड़ रुपए मध्य प्रदेश सरकार ने दिए थे।
स्पेशल लेजर शो
मिली जानकारी के अनुसार 11 अक्टूबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे तब वहां लेजर शो दिखाया जाएगा। इस मौके पर आतिशबाजी भी की जाएगी।
लोगों के बीच उत्साह
उज्जैन निवासी दीपू शर्मा अपने गृह नगर में शीघ्र खुलने वाले महाकाल गलियारे को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उनका कहना है कि वह ‘शानदार नई परियोजना’ की एक झलक पाने और सेल्फी लेने के लिए लगभग हर रात अपने घर के पास स्थित पुराने ओवरब्रिज पहुंचते हैं। शर्मा जैसे ऐसे कई स्थानीय लोग हैं जो हरि फाटक ओवरब्रिज के रैंप (ढलान) से दिखने वाले मनमोहक दृश्य की सराहना करते हैं। यहां से दिखने वाला सजावटी त्रिशूल और भगवान शिव की मुद्रा वाले 108 अलंकृत बलुआ पत्थर के स्तंभों का दृश्य लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।
भगवान की मूर्तियों और जगमग भित्ति चित्र के पास लगे फव्वारे इसकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। परियोजना स्थल को दूर से निहारने का यह उत्साह पिछले कुछ हफ्तों में बढ़ा है। पिछले महीने मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल की इस ‘पवित्र शहर’ में हुई पहली बैठक के बाद ‘फ्लाईओवर सेल्फी’ के लिए लोगों की दीवानगी बढ़ गई है।
इस परियोजना के निर्माण को लेकर शहर के लोग बहुत उत्साहित हैं क्योंकि इससे भगवान शिव के 12 ‘ज्योतिर्लिंग’ में से एक महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को पहुंचने और पवित्र शिवलिंग के दर्शन करने में आसानी होगी। हर दिन शाम ढलने के बाद काफी संख्या में लोग ओवरब्रिज के पास एकत्र होकर प्राचीन रुद्रसागर झील को निहारते हैं और गलियारे की पृष्ठभूमि में ‘सेल्फी’ लेते हैं।
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