वाल्मीकि नगर स्थित गंडक नदी इन दिनों घड़ियाल के लिए सेफ जोन बनता जा रहा। गंडक को घड़ियालों के लिए सबसे अच्छा अधिवास केंद्र माना जा रहा। गंडक भारत में घड़ियालों के लिए दूसरा अधिवास केंद्र है। फिलहाल गंडक नदी में 500 के करीब घड़ियाल हैं।
यही कारण है कि रोहतास से पकड़े गए 17 फिट लंबे घड़ियाल को वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से होकर निकलने वाली गंडक नदी में शनिवार की सुबह छोड़ा गया। यह घड़ियाल रोहतास के नासरीगंज के आरा कैनाल से वन विभाग द्वारा पकड़ा गया।
बड़ा घड़ियाल को छोटे जगह पर रहना कठिन
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बेतिया डिवीजन के बगहा परीक्षेत्र वन पदाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि रोहतास के नासिर गंज स्थित आरा कैनाल से घड़ियाल को रेस्क्यू किया गया। जिसकी लंबाई 17 फीट है। आरा कैनाल बड़े घड़ियाल के लिए उपयुक्त नहीं है। जिसे देखते हुए रोहतास से बेतिया डिवीजन को घड़ियाल सौंपा गया। बेतिया डिवीजन से वरिया पदाधिकारियों के देखरेख में घड़ियाल का स्वास्थ्य जांच करा कर धनहा स्थित गौतम बुद्ध सेतु पुल के पास घड़ियाल को छोड़ दिया गया है।
घड़ियाल के पूछ पर लगा है डिवाइस
सुनील कुमार ने बताया कि घड़ियाल को नेचुरल हेबीटेट में को संरक्षित किया जाता है, वहां इस तरह डिवाइस लगाए जाते हैं। इससे घड़ियालों की गिनती में आसानी होती है। साथ ही घड़ियाल की सारी गतिविधियों पर भी नजर रखा जाता है। इस डिवाइस के माध्यम से घड़ियाल के क्रिया पर अध्ययन किया जाता है।
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