बिहार में मॉनसून के कमजोर पड़ने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। कई जिलों में सामान्य से कम बारिश होने से धान की फसल पर असर पड़ा है।
पश्चिमी चंपारण जिले में जुलाई महीने में तेज गर्मी जहां आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। वहीं, दूसरी ओर किसानों मे भी बेचैनी बढ गई है। आग उगलते सूरज की तपिश से गर्मी परवान पर है। बारिश नहीं होने से धान की रोपाई किए खेतों मे दरारें पड़ने लगी हैं।
बगही के किसान बुन्नीलाल यादव ने बताया कि पहले इतने महंगे पंपसेट से पटवन कराकर रोपाई करवाई गई। मगर अब बारिश नहीं हो रही है, जिससे खेत सूखता जा रहा है।
किसान ने कहा कि इस तरह के मौसम में पंपसेट से कितना पटवन कराएं। पटवन के लिए दो सौ रुपये प्रति घंटा पैसा लगता है। जो कि आम किसान के बस की बात नहीं है। अब तो किसान दोहरी परेशानियां झेलने को मजबूर है।
बता दें कि बैरिया प्रखंड में 15 से 20 हजार एकड़ में धान की खेती की जाती है। किसानों का कहना है कि अब तो इस तरह की स्थिति है कि लागत भी नहीं निकल पाएगी। लोगों ने बताया कि इस तरह की गर्मी पहले कभी नहीं पड़ी थी। मॉनसून कमजोर होने से खरीफ फसलों पर आफत बढ़ने लगी है। क्योंकि अब किसानों ने तो महंगे पंपसेट से पटवन कर रोपाई कर दी है। मगर बारिश नहीं होने से उनके खेतों मे दरारें पड़ने लगी हैं। इससे धान के पौधे भी सूख सकते हैं।
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