बिहार के बड़े सरकारी अस्पताल एसकेएमसीएच में अगर आज डॉक्टर अल्ट्रासाउन्ड करवाने के लिए सलाह देंगे तो आपका नंबर डेढ़ माह बाद आएगा। इस बीच आप प्रॉपर इलाज करवाकर ठीक होना चाहते हैं तो बाजार में नीजी लैब में जाना पड़ेगा। यह सुचना अस्पताल से मरीजों को दिए गए पूर्जे दे रहे हैं। ऐसा तब है जब एसकेएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग में सभी संसाधन मौजूद हैं।
एसकेएमसीएच की यह हालत तब है जब विभाग में 12 डॉक्टर, छह टेक्नीशियन हैं। दो अल्ट्रासाउंड मशीन भी लगाई गई हैं। इसके बाद भी समय पर मरीजों का अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाता है। इसके लिए मरीजों को निजी लैब जाना पड़ रहा है। निजी लैब में जांच कराने में एक हजार से अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को बाहर अल्ट्रासाउंड कराने में मुश्किल होती है।
अल्ट्रासाउंड के लिए शनिवार को अस्पताल आए दो दर्जन से अधिक मरीजों को 17 जून का नंबर दिया गया। फिलहाल, दो हजार मरीज नंबर में हैं। इनमें सबसे अधिक परे’शानी दूर-दराज से आनेवाले गंभीर मरीजों व गर्भवती महिलाओं को हो रही है। अधिकांश गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए निर्धारित समय के बाद का नंबर मिल रहा है।
एसकेएमसीएच केरेडियोलॉजी विभाग के एक टेक्नीशियन ने बताया कि दो मशीनें है, लेकिन एक ही मशीन से काम लिया जा रहा है। हर दिन 50 से 55 मरीजों का अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है जबकि 50 से 60 नये मरीज रोज जांच के लिए पहुंच रहे हैं।
एसकेएमसीएच अधीक्षक डॉ. बीएस झा ने बताया कि रेडियोलॉजी विभाग में तीन जूनियर समेत 12 डॉक्टर हैं। दो मशीनें भी लगीं हैं। छह टेक्नीशियन हैं। सभी संसाधन के बाद भी यदि मरीजों को सुविधा नहीं मिल रही है और समय से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है तो इसकी जवाबदेही विभागाध्यक्ष की है।
इधर, विभागाध्यक्ष डॉ विनायक गौतम ने कहा कि गंभीर व भर्ती मरीजों का उसी तारीख में अल्ट्रासाउंड कर दिया जा रहा है। ओपीडी मरीजों को नंबर दिया जा रहा है। दो मशीनों में एक मशीन कम उपयोगी है। नई मशीन के लिए विभाग को लिखा गया है। परेशानी शीघ्र दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
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