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कोरोना की चौथी लहर! जानें कैसे वायरस से लड़ाई में मशीन होगी मददगार?

देश के कई राज्यों में कोराेना केस धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। चिंता की बात है कि उत्तराखंड में भी स्कूली छात्र सहित कई लोग कोविड पॉजिटिव मिल रहे हैं। लेकिन अब राहत की बात है कि वायरस का तुरंत ही पता चल पाएगा। मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लग गई है।

क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग, कैसे लगाया जा रहा कोरोना के नए स्ट्रेन का पता? -  Know what is genome sequencing which revealed the new strain of corona -  AajTak

2.8 करोड़ रुपये कीमत की मशीन की मदद से अब कोरोना के नए वेरिएंट का तुरंत पता लग सकेगा। वहीं रिसर्च के कार्य व मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई में काफी मदद मिलेगी। कोरोना वेरिएंट की पहचान के लिए हर माह संक्रमितों के सैंपल दिल्ली एनसीडी व देहरादून मेडिकल कॉलेज की लैब भेजे जा रहे थे।

जहां काफी दबाव होने से रिपोर्ट मिलने में देरी होती है। वेरिएंट के देर से पता लगने पर उस पर अंकुश लगने की कार्रवाई को अंजाम देने में देर होती थी। पर अब कुमाऊं को इस समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। कोरोना के नए वेरिएंट की चिंताओं के बीच हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बायोलॉजी विभाग में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लगा दी है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि इस मशीन से वायरस के किसी भी स्ट्रेन की पहचान की जा सकेगी। यानी कोरोना वायरस के डीएनए में किसी भी तरह का बदलाव हुआ तो डीएनए एनालाइजर मशीन की पकड़ में आ जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जनमानस से अपील की है कि वे सभी कोरोना गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करें।

माइक्रोबायोलॉजी विभाग में मशीन को स्टाल कर दिया गया है। इसे संचालित करने के लिए मई के पहले सप्ताह में ट्रेनिंग दी जाएगी। सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा तो मई के तीसरे हफ्ते से इस मशीन से जांच शुरू हो जाएगी।

माइक्रोबायोलॉजी विभाग में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन को स्टाल कर दिया गया है। मशीन को लेकर ट्रेनिंग होनी है। हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द मशीन में काम शुरू किया जाए।

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