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बल, बुद्धि, विद्या के दाता महावीर हनुमान जयंती आज / को नहीं जानत है जग में… अंजनधाम जहां मां अंजनी की गोद में विराजते बाल हनुमान

भगवान राम और कृष्ण की जन्मस्थली से तो हर कोई परिचित है किंतु अनेक को ज्ञात नहीं होगा कि हनुमान जी का जन्म कहां हुआ। एकाधिक मान्यताएं हैं, जिनमें झारखंड स्थित अंजनी गुफा के प्रमाण अधिक निकट हैं। मान्यताओं व उपलब्ध तथ्यों के अनुसार भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हनुमान का जन्म गुमला जिले के आंजन धाम में हुआ था। जिला मुख्यालय से 21 किमी की दूरी पर स्थित पवित्र पर्वतमाला में आंजन पर्वत है, जिसका संबंध सतयुग व रामायण काल से है। मान्यताओं के अनुसार माता अंजनी ने इस पहाड़ की चोटी पर स्थित गुफा में हनुमान जी को जन्म दिया था। माता अंजनी के नाम से इस जगह का नाम आंजन धाम पड़ा। इसे आंजनेय के नाम से भी जाना जाता है।

यहां स्थित मंदिर पूरे भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान बाल रूप में मां अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं। आंजन धाम के मुख्य पुजारी केदारनाथ पांडेय बताते हैं कि माता अंजनी भगवान शिव की परम भक्त थीं। वह हर दिन भगवान की विशेष पूजा अर्चना करती थीं। उनकी पूजा की विशेष विधि थी, वह वर्ष के 365 दिन अलग-अलग शिवलिंग की पूजा करती थीं। इसके प्रमाण अब भी यहां मिलते हैं। आज भी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में शिवलिंग मौजूद हैं। रामायण में किष्किंधा कांड में भी आंजन पर्वत का उल्लेख है। आंजन पर्वत की गुफा में ही भगवान शिव की कृपा से कानों में पवन स्पर्श से माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया।

आंजन से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर पालकोट बसा हुआ है। पालकोट में पंपा सरोवर है। रामायण में यह स्पष्ट उल्लेख है कि पंपा सरोवर के बगल का पहाड़ ऋषिमुख पर्वत है जहां पर कपिराज सुग्रीव के मंत्री के रूप में हनुमान रहते थे। इसी पर्वत पर सुग्रीव का श्रीराम से मिलन हुआ था। यह पर्वत भी लोगों की आस्था का केंद्र है। चैत्र माह में रामनवमी से यहां विशेष पूजा अर्चना शुरू हो जाती है जो महावीर जयंती तक चलती है। जिसमें पूरे झारखंड समेत देश भर से लोग आते हैं। इस बार कोरोना वायरस व लॉकडाउन के कारण सिर्फ मंदिर पूजा समिति के लोग ही शारीरिक दूरी का पालन करते हुए पूजा अर्चना कर रहे हैं।

पंडित केदारनाथ पांडेय कहते हैं कि आज जिस तरह से महामारी फैली है, ऐसे में प्रभु हनुमान का सुमिरन आत्मबल प्रदान करेगा। इस बीमारी का एक ही इलाज है इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत रखना, ऐसे में प्रभु हनुमान के नाम का सुमरिन आत्मबल देने वाला है। हनुमान चालीसा के साथ प्रभु का नाम भजें देखें भय, शोक, चिंता में कमी आ जाएगी। मन विश्वास से भर उठेगा।

सर्वव्यापी सत्ता हैैं हनुमान…

हमारे देवता, सर्वव्यापी सत्ता हैैं, नित्य हैं, निरंतर हैं। हनुमान महादेव सत्ता हैं, इसलिए उन्हें किं पुरुष भी कहा गया है। यह सर्वत्र कई बार स्वत: प्रकट हो जाती है। हर युग-कालखंड, भारतीय कालगणना के अनुसार चलें तो इनके आधार पर बार-बार इनके प्राकट्य और जन्म की गाथाएं आई है, चूंकि हर युग में, कालगणनाएं बदल जाती हैं तो हम ऐसा कह सकते हैं कि हनुमान एक ऐसी सत्ता हैं, जो सर्वव्यापी हैैं, जिसकी सर्व मान्यता है।

सर्वथा हनुमान ही एकमात्र ऐसे देवता हैं कि जिनकी मान्यता सभी जगह, चहुं ओर एक जैसी है, उनकी व्यापक स्वीकृति है, यह स्वीकृति शायद ही किसी अन्य देवी-देवता की है। इसलिए दैवीय मान्यताओं और अलग-अलग कालगणनाओं के अनुसार हर युग में उनके प्राकट्य और जन्मस्थान को लेकर अलग-अलग मान्यताएं और विश्वास हैं। इसे लेकर किंचित मात्र संदेह अनुचित है।

स्वामी अवधेशानंद गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, हरिद्वार

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