साइकिल पर अपने बनाए कृषि प्रोडक्ट्स लेकर इलाके में घूमने वाली ‘किसान चाची’ तबी’यत ख’राब होने की वजह से ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ में नहीं जाएंगी। फे’फड़े की बी’मारी से ग्र’सित राजकुमारी देवी ने अपनी तबी’यत में सुधार के बाद अचानक तबी’यत ख’राब हो जाना परिवार और समाज के लिए बे’हद ही तकली’फ देने वाला रहा।
वें’टिलेटर से हट’ने के बाद बेटे ने बताया कि कई जगह से जल्दी स्वस्थ होने की लोगों ने कामना की है। बता दें कि 15 जनवरी को किसान चाची की तबी’यत ख’राब हुई थी। उन्हें गै’स्टिक की समस्या हुई। इसके बाद परिजन उन्हें लेकर सरैया में एक हॉस्पिटल में ले गए। प्रारंभिक इलाज के बाद उन्हें मुजफ्फरपुर रेफर किया गया। यहां भी उनकी हा’लत में सु’धार नहीं हुआ तो पटना रे’फर कर दिया गया।’ परिजनों का कहना है कि उनके पाचन तंत्र में सम’स्या आ गई थी।किसान चाची का जीवन बेहद ही सरल पर चुनौ’तीपूर्ण रहा। देश के खास किसानों में से एक राजकुमारी देवी ने न सिर्फ अपना जीवन बदला, उन्होंने कई महिलाओं का जीवन बदल दिया।एक समय था जब दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें जूझ’ना पड़ता था। समाज ने उनका बहि’ष्कार भी किया, लेकिन वे अपने इरादों पर अडिग रहीं और किसान के साथ-साथ एक कुशल व्यापारी के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। उन्होंने खुद खेती की। साथ ही अचार बनाना शुरू किया। फिर पूरे गांव में साइकिल पर घूम-घूमकर अचार बेचने लगीं। यह समाज को मंजूर नहीं था। समाज में अपनी पहचान बनाने में उन्हें काफी वक्त लगा। 1974 में शादी के बाद उन्हें कई वर्षों तक संतान नहीं हुआ। इसको लेकर उन्हें ससुराल में प्रता’ड़ित किया जाने लगा। 1983 जब बेटी का जन्म हुआ तब भी उन्हें ता’ने सुनने पड़े। अंत में मज’बूरन उन्हें घर छो’ड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने पहले पति के साथ खेती में हाथ बंटाया। तब भोजन के लिए भी उन्हें तरस’ना पड़ता था। बाजार में उन्हें सब्जी की सही कीमत नहीं मिलती थी। यह देख उन्होंने वैज्ञानिक तरीके अपनाने शुरू कर दिए। साथ ही अचार और मुरब्बा भी बनाने लगीं। उन्हें बेचने के लिए खुद साइकिल पर लादकर उसे बाजार जाने लगीं। धीरे-धीरे उनकी पहचान होने लगी। 2003 में कृषि मेले में उनके उत्पादों को पुरस्कृत किया गया। CM नीतीश उनसे मिलने उनके घर तक गए।
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