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संघर्ष के बूते हो रहा मुजफ्फरपुर जिला चित्रगुप्त एसोसिएशन का विस्तार-अजय नारायण सिन्हा

सत्ता में रहकर ही आकांक्षाओं को पूर्ण करना संभव : महामंत्री
मनमानी और पाॅकेट की संस्था के आरोप को किया खारिज

समाज को संगठित कर मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य स्थापित मुजफ्फरपुर जिला चित्रगुप्त संघ संघर्ष के बूते विस्तार पा रहा है।  अपने लक्ष्य के प्रति बढ़ने को संकल्पित है और इस दिशा में हर दिन कुछ नया कर दिखाने की ख्वाहिशों को साकार भी कर रहा है। अगर इस संस्था की स्थापना पर नजर डाले तो श्याम नंदन सहाय के द्वारा स्थापित संस्था कभी दो संरक्षक और कुछ एक गिने चुने आजीवन सदस्यों के सहारे छाता चौक के निकट शुरू किया गया था। स्थापना के कुछ वर्षों के बाद ही संस्था का परिसर शनैः शनैः अतिक्रमण का शिकार होता चला गया। कभी निजी स्तर पर दबंगों ने कब्जा जमाया तो कभी सरकारी संस्थान की नीयत खोटी होती दिखी। लेकिन संस्था के पदाधिकारियों ने हार नहीं मानी। एक दो कदम पर लगे कानूनी ढेस के बावजूद संस्था की ओर से कानूनी लड़ाई जारी रखने का निर्णय लिया गया और अंततः सच की जीत होने लगी। नतीजतन चित्रगुप्त संघ का परिसर आज लगभग लगभग अतिक्रमण मुक्त हो चुका है। परिसर में संचालित दोनों विद्यालय अब नई जगहों पर संचालित हैं और मुंह की खा चुके अतिक्रमणकारी नए शर्तों पर संस्था परिसर से निकल चुके हैं।

इस संबंध में संस्था के महामंत्री अजय नारायण सिन्हा जो पेशे अधिवक्ता भी हैं और फिलहाल जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी। उन्होंने बताया कि इस संस्था की स्थापना निश्चित तौर पर कायस्थ समाज को संगठित करने और मुख्यधारा से जोड़ने की सोंच के साथ की गई थी। जिसमें प्रारंभिक चरण में भले ही सफलता नहीं मिली हो लेकिन शनैः  शनैः  यह संस्था अपने लक्ष्य के प्रति सजग और सकारात्मक दृष्टिकोण से बढ़ रहा है। फिलहाल संस्था की ओर से कई जनहित और रचनात्मक कार्य कराए जा रहे हैं जिसमें  कोरोना संक्रमण से बचाव को अब तक लगाए गए 33 शिविर भी शामिल हैं। संस्था की ओर से समाज के वैसे लोगों को बढ़-चढ़कर मदद किया जाता है जो कन्या विवाह , पढ़ाई लिखाई में आर्थिक दृष्टिकोण से अक्षम होते हैं। संस्था की ओर से पितृ विहीन  बच्चे को ₹500 प्रति माह छात्रवृत्ति  आत्म निर्भर होने तक  दी जाती है ।वही अन्य तरह के  टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच शिविर आदि का भी आयोजन समय-समय पर किया जाता है।

उन्होंने बताया कि जब उन्होंने संस्था का बागडोर संभाला था तब यह परिसर अतिक्रमणकारियों के कब्जे में था। लेकिन कानूनी संघर्ष के बाद यह परिसर अतिक्रमण मुक्त कराया गया है। नतीजतन यहां अब भगवान चित्रगुप्त का भव्य मंदिर होने के साथ-साथ वातानुकूलित सभाकक्ष और अन्य कार्यों के लिए बनाए गए सार्वजनिक भवन भी हैं। नई योजनाओं में शौचालय कंपलेक्स बनाने पर कार्य प्रक्रिया में है। आने वाले दिनों में उसे भी संस्था अमलीजामा पहनाएगी।

उन्होंने चित्रगुप्त एसोसिएशन को पॉकेट संस्था बनाने के आरोप पर दो टूक कहा कि कुछ असंतुष्ट लोगो के द्वारा यह  प्रचार प्रसार किया जा रहा है जबकि हकीकत से इसका कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान किए गए सांगठनिक कार्य और चुनाव परिणामों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया और बताया कि अगर इस संस्था का उपयोग उनके द्वारा निजी हित में किया जाता तो जीत का परिणाम शनैः शनैः बढ़ता नहीं जाता। उन्होंने कहा कि संस्था को सफल बनाने के लिए संरक्षक मंडली में संख्या बढ़ोतरी दो से 47 की गई साथ ही आजीवन सदस्यों 11 से 4000 से अधिक  संख्या  बढ़ाई गयी है। वहीं संस्था के लिए  आय का स्रोत बढ़ाने के लिए भी पहल किया गया जिसमें सफलता हाथ लगी और आज संस्था के खाते में प्रतिवर्ष 15 लाख से अधिक का आय – व्यय हो रहा है । उन्होंने कहा कि संघ अगर आर्थिक रूप से सक्षम होगा तभी समुदाय के जरूरतों के हिसाब से रचनात्मक पहल की जा सकेगी और किसी की आकांक्षा और उधेश्यो पर खरा उतरने के लिए जरूरी है सत्ता में भागीदारी। वे चाहते हैं कि सब मिलकर कार्य करें लेकिन इसके लिए साम दाम दंड भेद की नीति स्वीकार्य नहीं।

 

बहरहाल, चित्रगुप्त संघ अपनी सक्रियता भाईचारे की पहल और विश्वसनीयता में वृद्धि के कारण न सिर्फ शहर में आकर्षण का केंद्र है बल्कि जिला स्तर पर प्रसार पा चुकी है।इसका बड़ा परिणाम चित्रगुप्त पूजा के मौके पर भाई के भात जैसे कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गों की सहभागिता है। ऐसे में यह कहना कि यह संगठन सिर्फ का एक समाज और एक व्यक्ति के पैकेट की संस्था है, कतई उचित नहीं होगा। ऐसे में जब संस्थान समाज के हर वर्ग के पिछड़े लोगों की मदद को हाथ बढ़ाने को तैयार ही नहीं सुख दुःख में भागीदार है।

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