महात्मा गांधी ने कहा था कि किसी सभ्य मानव समाज की पहचान इस बात से होती है कि लोग वहां पशुओं के साथ कैसा बरताव करते हैं. पूर्णिया के मधुबनी मोहल्ला निवासी प्रमोद चाैहान ने इस मानव व्यवहार की अवधारणा को ऊंचा उठाया है. प्रमोद चौहान के पशुप्रेम की यह कहानी चर्चा का विषय बना हुआ है.
ऑकलैंड में व्यवसाय हैं प्रमोद
प्रमोद चौहान ज्यादातर समय न्यूजीलैंड में बिताते हैं. वे अॉकलैंड में लकड़ी के लॉग को चीन एक्सपोर्ट करते हैं. इसके अलावा वे पिछले 18 साल से फूड प्रोडक्ट का व्यवसाय भी कर रहे हैं. उन्होंने न्यूजीलैंड में एक कुत्ता पाल रखा था, जिसका नाम लाइकन था. लाइकन उनके परिवार का 10 सालों से अधिक एक ऐसा सदस्य रहा, जिसकी गुजरने की कमी ने प्रमोद चौहान और उसके परिवार को किसी परिजन के गुजर जाने सा गम दिया.
अस्थियां गंगा में प्रवाहित की
प्रमोद बताते हैं कि लाइकन मेरे परिवार का अभिन्न सदस्य था. इसलिए उसके गुजरने के बाद वहां हिन्दू रीति से उसका दा’ह संस्कार किया और उसकी अ’स्थियां भारत लाकर पटना में गंगा में प्रवाहित की. फिर गया जाकर पिंडदान और श्राद्ध किया. प्रमोद अब श्राद्ध के 30 दिन बीतने का इंतजार कर रहे हैं. तीस दिन पूरा होते ही वह भंडारा भी करेंगे.
गया के फल्गु नदी में किया पिं’डदान
लाइकन का अस्थि विसर्जन के बाद प्रमोद गया भी गए और लाइकन के मोक्ष प्रदान देने के लिए पिं’डदान और श्राद्ध किया. प्रमोद अब लाइकन के गयाजी के फल्गु नदी में हुए श्राद्ध के 30 दिन बीतने का इंतजार कर रहे हैं. तीस दिन पूरा होते ही वह अपने तमाम परिचितों और परिजनों के साथ भंडारा भी करेंगे.
प्रमोद चौहान के मित्र समीर सिन्हा और इलाके के किसान और प्रकृति प्रेमी हिमकर मिश्र ने बताया कि यह मानवता के लिए प्रेरक भी है. साथ ही इंसान और पालतू पशुओं के बीच के प्रेम का प्रमाण और उदाहरण है.
(इस खबर को मुजफ्फरपुर न्यूज़ टीम ने संपादित नहीं किया है. यह भास्कर फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।
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