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आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया: 7 साल में आम लोगों की आमदनी सिर्फ 36% बढ़ी, लेकिन पेट्रोल पर 220% तो डीजल पर 600% तक टैक्स बढ़ा

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपइया। पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तेजी के साथ बढ़ रहे हैं उससे एक आम आदमी का जीवन कुछ इसी कहावत को बयां करता है। दरअसल, पिछले सात साल में आम आदमी की कमाई से कई गुना ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थों पर सरकार ने टैक्स बढ़ाकर कमाए। इससे आम लोगों की जेब खाली हुई, वहीं, सरकार का खजाना तेजी से भरता गया। सोमवार को लोकसभा में केंद्र सरकार ने खुद ही बताया है कि पिछले 6 साल में पेट्रोल-डीजल से उनका टैक्स कलेक्शन 300% बढ़ गया है।

आपकी आमदनी और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स का गणित ऐसे समझें
जब मई 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई तो एक लीटर पेट्रोल पर टैक्स 10.38 रुपए था और अब ये बढ़कर 32.90 रुपए हो गया है। डीजल पर सरकार मई 2014 में 4.52 रुपए टैक्स लेती थी, जो अब 31.80 रुपए हो गया है। मई 2014 में पेट्रोल के दाम 71.41 रुपए और डीजल 56.71 रुपए पर था। लेकिन इस समय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल के दाम 91.17 रुपए और डीजल के दाम 81.47 रुपए पर आ गए हैं। इस दौरान दाम के लिहाज से पेट्रोल करीब 30% और डीजल करीब 45% महंगा हुआ, लेकिन इसमें लगने वाला टैक्स 220% (पेट्रोल) और 600% (डीजल) बढ़ गया।

केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी के जरिए कुल 72,160 करोड़ रुपए कमाए थे। लेकिन सरकार 2020-21 के 10 महीनों में ही 2.94 लाख करोड़ रुपए कमा चुकी है। दूसरी तरफ, आपकी आमदनी की बात करें तो ये 2014 से 2021 के बीच 36% बढ़ी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय 72,889 रुपए सालाना थी जो 2020-21 में 99,155 रुपए हो गई।

एक साल में आपकी आदमनी घटी, सरकार की बढ़ी
पिछले एक साल में देश की प्रति व्यक्ति आय करीब 9% घटी है। 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय 1.08 लाख रुपए सालाना थी। यह 2020-21 में घटकर 99,155 रुपए प्रति वर्ष रह गई है। वहीं, केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के टैक्स से अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच 2.39 लाख करोड़ कमाए। यह 2020-21 के पहले 10 महीने में ही 2.94 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। यानी पिछले साल के मुकाबले सरकार पेट्रोल और डीजल से इस साल के 10 महीनों में ही 23% ज्यादा कमा चुकी है।

पेट्रोल-डीजल पर सरकारों का टैक्स

कच्चा तेल हुआ सस्ता, पेट्रोल-डीजल महंगा
आपको तो पता ही होगा कि पेट्रोल-डीजल कच्चे तेल से बनता है। और कच्चे तेल के दामों का असर पेट्रोल-डीजल कीमतों पर सीधे तौर पर पड़ता है। मई 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब कच्चे तेल की कीमत 106.85 डॉलर प्रति बैरल थी। वहीं अभी कच्चे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पर है। इसके बावजूद भी पेट्रोल के दाम घटने के बजाए बढ़कर 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गए हैं।

इस साल 26 बार बढ़ी फ्यूल की कीमतें
इस साल पेट्रोल-डीजल के दाम जनवरी में 10 बार और फरवरी में 16 बार बढ़े, जबकि मार्च में कीमतें स्थिर हैं। इस लिहाज से 2021 में अब तक पेट्रोल-डीजल के दाम 26 बार बढ़ चुके हैं। 2021 में अब तक पेट्रोल 7.36 रुपए और डीजल 7.60 रुपए प्रति लीटर महंगा हुआ है।

डीजल महंगा होने से आपकी रसोई से लेकर बजट पर पड़ता है असर
भारत में पेट्रोल और डीजल की सबसे ज्यादा खपत ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में होती है। दाम बढ़ने पर यही दोनों सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। चूंकि ये भारत के आम आदमी से जुड़े सेक्टर हैं। इसलिए पेट्रोल डीजल की कीमतें अप्रत्यक्ष रूप से इनकी जेब पर ही असर डालती हैं। डीजल के दाम बढ़ने से खेती से लेकर उसे मंडी तक लाना महंगा हो गया है। इससे आम आदमी का बजट बिगड़ सकता है। डीजल की कुल खपत का 99% भाग ट्रांसपोर्ट में उपयोग होता है।

राज्य सरकारें वसूलती हैं अलग से टैक्स
मौजूदा कर व्यवस्था में हर राज्य अपने हिसाब से पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाता है। केंद्र भी अपनी ड्यूटी और सेस अलग से वसूल करता है। पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज अभी करीब 32 रुपए है। इस पर केंद्र सरकार 33 रुपए एक्साइज ड्यूटी ले रही है। इसके बाद राज्य सरकारें अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं।

पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने पर कम हो सकता है पेट्रोल
SBI के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, अगर फ्यूल को GST के तहत लाया जाता है तो देश में पेट्रोल की कीमत घटकर 75 रुपए और डीजल 68 रुपए प्रति लीटर पर आ सकती है। हालांकि सरकार फिलहाल इन्हें GST के दायरे में लाने के मूड में नहीं है।

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