बिहार में सर’कार गठन में नए चेहरों को सामने लाने के बाद भाज’पा अन्य राज्यों में भी इस प्रयोग को आगे बढ़ा सकती है। भाज’पा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने संग’ठन की टीम के साथ इसकी शुरु’आत कर दी है। अब उनकी विभिन्न राज्यों के संग’ठन प्र’भारियों की टीम अपने-अपने राज्यों में इस बदला’व की संभावना तलाशेगी।
भाजपा ने साल 2019 के लो’कसभा चुनाव के बाद ही सं’गठन में युवा और नए चेहरों के साथ कई बद’लाव करने की शुरुआ’त की थी। कई जगह उसने इस काम को किया भी है, लेकिन कुछ राज्यों में विभिन्न कार’णों से इसे मूर्त रूप नहीं दे पाई है। मध्य’प्रदेश और राजस्था’न में संगठन में तो बदलाव किए हैं, लेकिन राजनी’तिक नेतृत्व नहीं बदला जा सका है। हालांकि, इन दोनों राज्यों की राजनी’तिक स्थितियां अलग तरह की हैं।
सूत्रों के अनुसार पार्टी दक्षि’ण में अपने विस्तार को मजबूत करने के साथ कर्नाटक में भी मुख्य’मंत्री बीएस येदुरप्पा के वि’कल्प की तलाश में है। हालांकि वह जल्द’बाजी नहीं करेगी, क्योंकि उसके लिए सरकार की स्थिरता भी जरूरी है। केंद्रीय संग’ठन महास’चिव बीएल संतोष और महास’चिव सीटी रवि दक्षिण के राज्यों को सीधे तौर पर देख रहे हैं। निकट भवि’ष्य में इन राज्यों में कई बद’लाव देखने को मिल सकते हैं।
युवा नेताओं को उभारेंगे:
भा’जपा अ’ध्यक्ष जेपी नड्डा हाल में विभिन्न राज्यों के लिए जिन केंद्रीय प्रभा’रियों की नियुक्ति की है वह खुद भी नए और युवा हैं। उनका दायित्व अपने-अपने राज्’यों में जिला और प्रदेश स्तर पर नए और युवा नेताओं को उभार’ने का होगा, ताकि अगले आम चुनाव तक भाज’पा के पास ऊर्जा’वान नेताओं की बड़ी टीम तैयार हो सके।
सुशील कुमार को मिल सक’ती है केंद्र में जगह:
बिहार में भाजपा ने गठ’बंधन सरका’र होने के बावजूद इस बदलाव की शुरु’आत कर दी है। सुशील कुमार मोदी की जगह नए नेतृत्व को लाया गया है। पार्टी के प्रमु’ख नेता ने कहा का इसका मत’लब किसी नेता को हटाना नहीं है, बल्कि नई टीम के लिए जगह बनाना है। जो अनु’भवी नेता हैं उनका दूसरी जगह सदुप’योग किया जाना है। सूत्रों का कहना है कि सुशील मोदी को केंद्र में जगह मिल सकती है।
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