पटना: नई संसद की नई लोकसभा में नजारा बदला हुआ था। लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के बाद भी भाजपा और उसके सहयोगी दलों में पिछली दो बार जैसा जोश नहीं था, वहीं लगातार तीसरी बार विपक्ष में बैठी कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के चेहरों पर एक बार फिर विपक्षी खेमे में बैठने पर भी मुस्कान थी। इस बार सत्तापक्ष व विपक्ष की नजर व नजारे दोनों बदले हुए थे।
प्रधानमंत्री मोदी जब सदन में आए तो भाजपा व सत्ता पक्ष के सांसदों ने भारत माता की जय व मोदी-मोदी के नारों से जोरदार स्वागत किया। हालांकि, इस बार जय श्री राम का नारा नहीं गूंजा। मोदी के शपथ लेते समय भी मोदी-मोदी के नारे गूंजे तो दूसरी तरफ विपक्षी सांसद अपने स्थान पर खड़े होकर संविधान की प्रति लहरा रहे थे। साल 2019 में भाजपा की रिकार्ड जीत हुई थी। सदन में मोदी-मोदी और जय श्री राम की गूंज थी। मोदी की शपथ में भी मोदी-मोदी और भारत माता की जय के नारे गूंज रहे थे। प्रोटेम स्पीकर भाजपा के वीरेंद्र कुमार पीठासीन थे। तब सदन में सत्ता पक्ष में अग्रिम पंक्ति में राजनाथ सिंह, अमित शाह, थावरचंद गहलौत व नितिन गडकरी थे।
इस बार भी मोदी शपथ लेकर स्पीकर के पीछे से सभी विपक्ष समेत सभी सांसदों को नमस्कार करते हुए अपनी सीट पर आए थे। दोनों बार विपक्ष में सोनिया गांधी सबसे आगे मौजूद थीं। इस बार सरकार बदलने के सिवा सब कुछ बदला हुआ था। प्रधानमंत्री भी स्पीकर के पीछे से विपक्ष के सामने से होकर सबको नमस्कार करने की परंपरा को छोड़कर वापस सत्ता पक्ष में अपनी सीट पर लौट आए। इस पर विपक्ष से आपत्ति भी आई। राज्यसभा सदस्य बनने के कारण इस बार विपक्ष में सोनिया गांधी नहीं थीं, बल्कि आगे की सीटों पर युवा नेतृत्व के चेहरे राहुल गांधी व अखिलेश यादव बैठे थे। सत्तापक्ष में मोदी के साथ इस बार भी राजनाथ सिंह थे। उनके साथ अमित शाह, नितिन गडकरी थे।
दरअसल, इस बार सरकार व विपक्ष में प्रोटेम स्पीकर को लेकर ही विवाद हो गया। कांग्रेस के आठ बार के सांसद के सुरेश इसके लिए दावेदार थे। जबकि सरकार ने सात बार के सांसद भाजपा के भर्तृहरि महताब को चुना, क्योंकि वह लगातार सांसद रहे जबकि सुरेश के दो ब्रेक थे। यही वजह रही कि विपक्ष ने प्रोटेम स्पीकर पैनल का बहिष्कार किया। सदन में शपथ के लिए बुलाए जाने पर भी सुरेश व बालू उठकर बाहर चले गए।
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