पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इंडी गठबंधन में सब-कुछ बिगड़ चुका है. हाथी भर चुका है, लेकिन लालू प्रसाद और ललन सिंह उसमें जान-फूँकने की कोशिश करने के लिए झूठ-सच का सहारा ले रहे हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि जदयू भले ही नीताश कुमार की नाराजगी पर लीपीपोती कर रहा है , लेकिन मुख्यमंत्री का नाराज होना स्वाभाविक है। उनको कन्वेनर या प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की बात बार-बार कही जा रही थी। पोस्टर लगवारे गए, बयान दिलवाये गए और गठबंधन की शीर्ष बैठक में कोई नाम लेने वाला भी नहीं था। उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने उस बैठक में क्या केवल केजरीवाल और ममता दीदी के आगे सिर हिला कर हामी भरने या मौन समर्थन करने गए थे?
सुशील मोदी ने कहा कि जिस तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार ने दो बार डिप्टी सीएम बना कर हैसियत से “बड़ा नेता” बनाया और फिर अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया, यदि उसने भी गठबंधन के संयोजक या प्रधानमंत्री-उम्मीदवार के रूप में बिहार से नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया, तब नीतीश के रोष और क्षोभ की गंभीरता समझी जा सकती है. उन्होंने कहा कि जिस गठबंधन के लिए शुरुआती पहल नीतीश कुमार ने की, उसमें एक साल के अंदर कोई संगठनात्मक प्रगति नहीं हुई. न सीट शेयरिंग पर कोई खाका बना, न साझा रैली हो पाई।
सुशील मोदी ने कहा कि बंगलुरू के बाद दिल्ली में दूसरा मौका था , जब नीतीश कुमार का साझा प्रेस कॉन्फ्रेन्स में शामिल नहीं हुए। यह उनकी नाराजगी नहीं तो क्या है? ललन सिंह इस पर भी यह कह कर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं कि नीतीश जी सोनिया जी और खड़गे जी से अनुमति लेकर निकले थे. सुशील मोदी ने कहा कि गठबंधन की सब कमिटी की मीटिंग हुई भी, तो कोई ठोस फैसला नहीं हुआ। उससे भी नीतीश कुमार स्वयं को उपेक्षित महसूस करते रहे।
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