पटना: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की और चार राज्यों के 21 मुद्दों पर चर्चा की। जिसमें कई मुद्दों का निवारण हुआ तो कई मामले के लिए कमेटी बनाने की सहमति बनी। शाह ने बताया कि मीटिंग बहुत अच्छी रही। वहीं जातीय सर्वे के सवाल पर उन्होने कहा कि जातीय गणना का निर्णय तभी किया गया था। जब भाजपा बिहार सराकर में हिस्सेदार थी। बीजेपी अब भी इसका समर्थन कर रही है।
जातीय सर्वे पर अमित शाह ने कहा कि बिहार में जातिगत सर्वे का निर्णय तभी किया गया जब भाजपा बिहार सरकार में हिस्सेदार थी। सर्वे होने के बाद जो रिपोर्ट आई और जो कानून आया है। उसका भी भाजपा ने समर्थन किया है। लेकिन, सर्वे में कुछ सवाल उठे हैं, मुख्यत: मुसलमानों और जाति विशेष को ज्यादा तवज्जो देकर छोटी और पिछड़ी जाति के साथ अन्याय का सवाल बार-बार उठ रहा है।
शाह ने कहा कि कई छोटी जातियों के डेलीगेशन बीजेपी से मिले, जेडीय और आरजेडी के नेताओं से भी मिले। मेरा आग्रह है कि सभी सवालों का समाधान तुरंत करना चाहिए और अपने राजनीतिक फायदे के लिए किसी जाति के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए।
शाह से पहले बीजेपी समेत एनडीए के कई नेता जातीय सर्वे पर सवाल उठा चुके हैं। एनडीए के सहयोगी और हम के संस्थापक जीतन राम मांझी ने कहा था कि 1931 में यादवों की आबादी करीब 4% थी। तो 2023 में यादवों की संख्या 14% कैसे हो गई? जब यादवों की संख्या बढ़ गई तो अन्य जातियों की संख्या घट क्यों गई? वहीं, उन्होंने कहा कि दरी बिछाने वाला जमाना गया, जो बिछाएगा वही बैठेगा।
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