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गृह मंत्री अमित शाह कल क्यों आ रहे मिथिलांचल, जानें असल वजह

भारतीय जनता पार्टी के थिंक टैंक का मिथिलांचल आना मायने रखता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटने के बाद देश का गृह मंत्री बनने के बावजूद संगठन अमित शाह के हिसाब से ही चलता है, यह सभी को पता चलता है। सनातन धर्म और भारत-इंडिया को लेकर विवादों के बीच मिथिलांचल में अमित शाह का आना कई इशारे कर रहा है। मौका भी है और दस्तूर भी- कुछ इसी अंदाज में आ रहे हैं वह। आएंगे तो सनातन से लेकर भारत तक की बातें होंगी, लेकिन यह भी तय है कि शाह का लक्ष्य लोकसभा चुनाव का गणित देखना है। लोगों को दिखाना-जताना है। शाह का ताजा दौरा मिथिलांचल में मिश्रा और झा की राजनीति भी तय करेगा। अमित शाह सबसे पहले मधुबनी जिले में झंझारपुर पहुंचकर एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह अररिया जाएंगे और जोगबनी में इंट्रीग्रेटेड चेकपोस्ट में एसएसबी जवानों के रहने हेतु बने आवासीय परिसर का उद्घाटन करेंगे। अमित शाह के दौरे को लेकर बिहार भाजपा तैयारियों में जुटी हुई है। भाजपा के ज्यादातर दिग्गज झंझारपुर में लगातार कैंप कर रहे हैं।

गृह मंत्री अमित शाह के झंझारपुर और अररिया दौरे के क्या हैं मायने? यह है  सियासी कनेक्शन - Political significance of home minister amit shah visit to  jhanjharpur mithilanchal araria ...

जहां पहुंचेंगे, उस क्षेत्र का गणित समझिए
अमित शाह झंझारपुर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में झंझारपुर सीट जनता दल यूनाईटेड (JDU) के खाते में थी। तब भाजपा-जदयू के साथ में जदयू के रामप्रीत मंडल ने जीत हासिल की थी। लेकिन, 2020 के विधानसभा चुनाव के जनादेश से उलट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन छोड़कर जदयू के महागठबंधन में शामिल होने का असर इस सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को जरूर मिलेगा। जातीय समीकरणों के आधार पर देखें तो राजद और जदयू के साथ होने से महागठबंधन को यहां मजबूती मिलेगी। वजह पिछड़ा और अतिपिछड़ा बहुल सीट है। शाह की इस सभा से पहले भाजपा ने चौंकाते हुए मिथिलांचल से निषाद समाज के नेता हरि सहनी को बिहार विधान परिषद् में न केवल नेता प्रतिपक्ष बनाया, बल्कि मिथिला में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया गया है। मायने यह कि भाजपा इस क्षेत्र में इस वर्ग के वोटरों को साथ लाने का बड़ा दांव खेल चुकी है। इसलिए, अभी यह मानना संभव नहीं है कि भाजपा मिथिलांचल में सहयोगी दलों के भरोसे रहने के मूड में है।

तो, मिश्रा को लेकर क्या गणित हो सकता है
अमित शाह की रैली मिथिलांचल में झंझारपुर सीट पर अगड़ी जाति को साधने की कोशिश है। इसी क्षेत्र से सांसद रहे नीतीश मिश्रा आते हैं। नीतीश बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पौत्र हैं। वह इस सीट एक बार सांसद रह चुके हैं। भाजपा में वह सक्रिय भी हैं और काम करने के अलग तरीके के कारण नीतीश मिश्रा को पसंद करने वाले लोग ठीकठाक हैं। संभव है कि शाह के स्टेज पर नीतीश मिश्रा को आगे करने का प्रयास हो, मतलब नाम घोषित किए बगैर भाजपा बताने का प्रयास करेगी कि वह पिछड़ी जाति के लोगों का सम्मान दे रही है तो अगड़ी जाति की पीठ पर भी उसका हाथ है। इस बीच अगर शाह सनातन धर्म और भारत की बात करें तो अचंभा नहीं होगा, क्योंकि धर्म के मामले में मिथिलांचल हमेशा से मायने रखता है। मिथिलांचल को राजा जनक का क्षेत्र कहा जाता है और सीतामढ़ी को माता सीता की जन्मस्थली। ऐसे में धर्म की बातें उठेंगी ही और साथ ही जाति को साधने का भी पूरा प्रयास होगा।


कभी भाजपा के लिए इस इलाके में चेहरा रहे ‘झा’ अब लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी हैं। जदयू ने मिथिलांचल का एक तरह से पूरा भार उन्हीं पर दे रखा है। शाह जहां पहुंच रहे, वह बिहार सरकार के जल संसाधन एवं सूचना-जनसंपर्क मंत्री संजय झा का गृह जिला है। उन्होंने अभी हाल ही में इस इलाके को एक बड़ी सौगात मिथिला हाट के रूप में दी थी। इसके खुलने से संजय झा को लोग खुले दिल से इलाके का नेता मानने लगे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा अमित शाह की रैली इस इलाके में कराकर भाजपा अब जदयू नेता संजय झा की छवि पर अपनी बातों का भार डालना चाह रही है।
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