नवरात्रि 2022 : कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नौ दिन का पाठ करने वालों को प्रत्येक दिन एक कन्या का पूजन करना चाहिए। जो प्रतिदिन कन्या पूजन नहीं कर सकते उन्हें अष्टमी को पूजन करना चाहिए। अगर किसी कारण से अष्टमी का पूजन नहीं हुआ तो नवमी को भी पूजन का विधान है।
माना जाता है कि दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्या का पूजन होना चाहिए। उक्त जानकारी मां तारा ज्योतिष संस्थान के आचार्य अनिल मिश्रा ने दी। उन्होंने कहा कि अष्टमी अथवा नवमी को कन्याओं के पैर धोकर भोजन करना और सामथ्र्य के अनुसार दान देना चाहिए।
जाने वर्ष के अनुसार कन्याओं का महत्व: दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है। इसके पूजन से दुख-दारिद्रय दूर होती है। तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है। इनके पूजन से सुख समृद्धि आती है। चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है। उनके पूजन से भक्त का कल्याण होता है। पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा जाता है। इनके पूजन से रोग से मुक्ति मिलती है। छह वर्ष की कन्या को काली का रुप माना जाता है। इनकी पूजा से विद्या, विजय व राजयोग की प्राप्ति होती है। सात वर्ष की कन्या को चंडिका माना जाता है। इनके पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी का स्वरुप माना जाता है। इनके पूजन से वाद-विवाद में विजय मिलती है। नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। इनके पूजन से शत्रु का नाश होता है। दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा गया है। इनके पूजन से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। अगर इनका पूजन नौमी के दिन कोई भक्त करता है। वैसी स्थिति में प्रसाद ग्रहण कराते समय दो से दस वर्ष आयु के बालक को भी प्रसाद ग्रहण कराना चाहिए।
शास्त्र कहते हैं कि बगैर भैरव अथवा हनुमान जी के पूजन के कन्या पूजन का विशेष फल नहीं मिलता। बालक हनुमान जी के स्वरुप होते हैं।
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