बक्सर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सोमवार की रात स्थापित की गई ताजिया जुलूस में आजादी के अमृत महोत्सव का असर देखने को मिला। 5 बुर्राकों के साथ हर साल बनने वाले इस ताजिए की बनावट इस बार तिरंगे के कलर से की गई है।
पूरी साज-सज्जा में यहां दूर से तिरंगा ही नजर आता है। वहीं कुछ जगह ताजिया के आसपास तिरंगे के रंग में भारत का नक्शा बनाकर सजाया गया, जो आकर्षण का केंद्र रहा।
ताजिया रखने वाले समिति के अध्यक्ष एमडी मुस्तफा ने बताया कि ब्रिटिश काल से ही उनके पूर्वज हजरत हुसैन की याद में आकर्षक तजिया स्थापित करते आ रहे हैं।
अपने पूर्वजों की इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल आजादी की 75वीं सालगिरह पर हर घर तिरंगा लगाने का ऐलान किया है। ऐसे में हमने भी इस ताजिए को तिरंगे रंग में सजाया है।
दो साल वैश्विक महामारी के कारण मुस्लिम समुदायों द्वारा मातमी त्योहार को भव्यता नहीं दिया गया। लेकिन इस बार प्रशासन ने कुछ गाइड लाइन के तहत मुहर्रम मानने की छूट दी है।जिसकी तैयारी में मुस्लिम समुदाय एक महीने से लगे हुए थे।
यह पर्व प्रत्येक वर्ष पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत को याद करने और शोक मनाने के लिए मनाया जाता है। मुसलमानों के हिजरी वर्ष का यह पहला महीना है जिसे शहादत का महीना कहा जाता है। मुहर्रम के नौवें और दसवें दिन को मुसलमान रोजा रखते हैं तथा मस्जिद और घरों में अल्लाह की इबादत करते हैं।
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