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झारखंड में सूखे का संकट: कृषि विभाग ने जिलों से मांगी रिपोर्ट, आकलन के बाद होगा फैसला

झारखंड में मानसून की बेरुखी से किसान परेशान हैं। खेत सूखने लगे हैं। धान के बिचड़े पीले पड़ गये हैं। रोपनी शुरू नहीं हो पायी है। सुखाड़ का संकट मंडराने लगा है। इन सबके बीच कृषि विभाग भी पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है।

कृषि मंत्री बादल ने बताया कि खरीफ की खेती पर संकट को लेकर गुरुवार को विभाग ने एक बैठक बुलायी है। समीक्षा के बाद सरकार आसन्न सुखाड़ से निपटने और वैकल्पिक उपाय पर फैसला लेगी।

कृषि मंत्री ने बताया कि सभी जिलों की वर्षापात और धान की रोपनी की रिपोर्ट लेकर स्थिति की समीक्षा की जाएगी। कृषि विभाग के सचिव और संबंधित अधिकारियों के अलावा कृषि विशेषज्ञों और मौसम वैज्ञानियों को भी बैठक में बुलाया गया है।

रिपोर्ट की मानें तो कई जिलों में औसत से 49 प्रतिशत कम बारिश हुई है। कृषि मंत्री ने कहा कि कैबिनेट की पिछली बैठक में भी इसपर चर्चा हुई थी। वहीं वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का कहना है कि कम बारिश से खरीफ पर असर पड़ रहा है। सरकार इस मामले में पूरा स्टडी करेगी, उसके बाद आगे कोई फैसला लेगी।

छह साल में तीन बार फेल हो चुका है मानसून पूर्वानुमान

झारखंड में बीते छह साल में मानसून पूर्वानुमान तीन बार फेल हो चुका है। इसके कारण खरीफ पर प्रतिकूल असर पड़ा है। वर्ष 2014-15 में 20 लाख 7881 मीट्रिक टन धान की फसल हुई, जो औसत से बीस फीसदी कम रही। 2015-16 में 11 लाख 38 हजार, 2018-19 में 20 लाख 72 हजार मीट्रिक टन धान की फसल हुई। 2016-17 में 40 लाख 62 हजार मीट्रिक टन, 2017-18 में 40 लाख 59 लाख मीट्रिक टन तथा 2019-20 में 34 लाख मीट्रिक टन धान की फसल हुई।

कृषि मंत्री बादल ने कहा, ‘कम बारिश से खेती पर पड़ने वाले असर पर सरकार का ध्यान है। हम पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। इसी विषय पर विभाग ने गुरुवार को बैठक बुलाई है। हालात की समीक्षा करने के बाद सरकार फैसला लेगी।’

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