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मुजफ्फरपुरः थानों में कुछ खास गवाह, पुलिस की हर छापे’मारी में रहते हैं हाजिर! समझें क्या है खेल

मुजफ्फरपुर पुलिस को कुछ ऐसे खास गवाह मिल गए हैं जो हर छापेमा’री में मौजूद रहते हैं और पुलिस की मदद करते हैं। खासकर श’राब, ह’थियार और नशी’ले पदार्थों की बरा’मदगी होती है तो ये गवाह पूरी शिद्दत से मौजूदगी और गवाही दोनों सुनिश्चित करते हैं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि केस के दस्तावेज में दर्ज है। पुलिस भी इस कड़’वी हकीकत को स्वीकार करती है।

जिले में जब्त की जा रही श’राब, हथि’यार और मा’दक पदा’र्थ की ज’ब्ती सूची पर थानों के खास गवाह हैं। ये रात हो या दिन पुलिस की छा’पेमारी स्थलों पर पहुंच जाते हैं, जिसे पुलिस अपनी एफआईआर व ज’ब्ती सूची का स्वतंत्र गवाह बताती है।

गवाहों में ज्यादातर चौकीदारों के करीबी रिश्तेदार

बार-बार गवाह बनने वाले कथित स्वतंत्र गवाहों में ज्यादातर चौकीदारों के करीबी रिश्तेदार, थानों के समीप के चाय-पान दुकानदार, बिचौलिए या निजी वाहन चालक हैं। थाने से जुड़े होने के कारण ऐसे गवाह आसानी से कोर्ट में पलटते नहीं हैं। पुलिस संरक्षण मिलने के कारण इन गवाहों की थानों में चलती रहती है। पुलिस से जमीन पर कब्जे की लड़ाई (144) की रिपोर्ट से लेकर बड़े-छोटे मामलों में इनकी गवाही मायने रखती है।

कुछ खास लोगों को गवाह बनाने को लेकर थाने के पुलिस अधिकारियों की दलील है कि पुलिस की कार्रवाई से आम लोग दूर भागते हैं। कोर्ट कचहरी से बचने के लिए गवाह बनने से कतराते हैं। ऐसे में केस को मजबूती के लिए पुलिस से जुड़े लोग जब्ती सूची के गवाह बनते हैं। इससे केस मजबूत होता है। कोर्ट से सख्ती होने पर इन गवाहों को आसानी से पुलिस कोर्ट में प्रस्तुत कर देती है।

शहर के प्रमुख थाने में बार-बार बनने वाले गवाह

● अहियापुर

रंजीत चौधरी, राजू चौधरी, अजय कुमार, संजय कुमार, दिनेश राय, विनोद राम, रामबाबू राय, विजय सहनी

● कांटी

गुड्डू कुमार, ओमप्रकाश, सि. कौशुल कुमार गिरि, ह. दिनेश कुमार

● नगर 

सै. मदन पांडेय, रामनाथ सिंह, सिंटू कुमार, सि. बालिंद्र सिंह, सि. धीरेंद्र कुमार

● मिठनपुरा  

चंद्रभूषण प्रसाद, दिलीप कुमार, राहुल कुमार, रवि कुमार, मो. गुलाब

● सदर 

मो. जाबिर, मो. गुलाब, सि. शत्रुध्न कुमार, अविनाश अखिलेश कुमार, सुनील कुमार

क्या कहते हैं एसएसपी

इस मामले जिले के पुलिस कप्तान जयंतकांत का कहना है कि मौके पर जो उपलब्ध रहा और स्वेच्छा से
गवाह बनने को तैयार होता है, उसे ही गवाह बनाया जाता है। आम लोग कोर्ट कचहरी से बचने के लिए गवाह
बनने से कतराते हैं। यदि कोई आम आदमी गवाह बनने को तैयार नहीं होता है तब पुलिसकर्मियों को गवाह
बनाया जाता है।

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