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ड्रॉपआउट बड़ी सम’स्या : आंठवी के बाद बच्चे क्यों छोड़ देते हैं पढ़ाई, जानें इसकी वजह

बिहार में स्कूली शिक्षा में ड्रॉपआउट की सम’स्या खत्म नहीं हो रही है। राज्य के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक के साथ माध्यमिक विद्यालयों में भी नामांकित बच्चे अब बीच में पढ़ाई छो’ड़ दे रहे हैं। सूबे की स्कूली शिक्षा को बेहतर करने के प्रयासों के बीच बड़ी संख्या में यह ड्रॉपआउट चिंता’जनक है।

Bihar latest News Patna story High rate of Drop out in state more than  Thirty nine percent quit from School what is Reason - बिहार में ड्रॉपआउटः  आठवीं के बाद 39 फीसदी

राज्य के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में पिछले एक-डेढ़ दशक में बड़े सुधार हुए हैं। बड़ी संख्या में स्कूल भवन बने हैं। गुलाबी रंग का इनका आवरण दूर से ही शिक्षा भवन के खड़ा होकर मुस्कुराने की तस्दीक करते हैं। स्कूलों में लगातार घंटियां बज रही हैं। साढ़े तीन लाख से अधिक शिक्षक बहाल हुए हैं। इसी माह 42 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया है।बावजूद इन प्रयासों के बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ने की दर शिक्षाशास्त्रियों को चिं’तित करती है। सरकारी रिपोर्ट की ही मानें तो उच्च प्राथमिक स्तर यानी मध्य विद्यालय जाते-जाते 38.8 फीसदी बच्चे पढ़ाई छोड़ दे रहे हैं। ड्रॉपआ’उट वालों में बेटे 40.1 फीसदी जबकि बेटियां 37.3 फीसदी हैं। हाल ही में बजट सत्र के पहले दिन उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने जो आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया, उसकी रिपोर्ट भी इस पर मुहर लगाती है। रिपोर्ट विभाग द्वारा प्रस्तुत यू-डायस आंकड़ों के आधार पर तैयार हुई है।

बिहार में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति और ड्रॉपआउट बड़ी समस्या, लुभावनी  योजनाएं भी नहीं आ रही काम

मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले आठ साल यानी 2012-13 और 2019-20 के दौरान प्राथमिक स्तर पर ड्रॉप’आउट  में 9 जबकि उच्च प्राथमिक स्तर पर 7.9 फीसदी की गिरावट आयी है, लेकिन प्राथमिक स्तर पर भी यह 31.7 से गिरकर 22.7 पर आकर बरकरार है। वहीं माध्यमिक (9वीं-10वीं) स्तर पर या इसके बाद पढ़ाई छोड़ने वाली बेटियों का प्रतिशत (66.7) है’रत में डालनेवाला है। ड्रॉ’पआउट वाले 60.8 फीसदी लड़कों को मिलाकर इस स्तर पर कुल ड्रॉपआउट 63.5 फीसदी होना कई सवाल खड़े करता है।

बिहार : 5वीं के बाद बच्चों के स्कूल छोड़ने के मामलों से शिक्षा विभाग  परेशान, उठाया ये कदम | TV9 Bharatvarsh

शिक्षाविद् प्रो. एनके चौधरी कहते हैं कि बिहार में माध्यमिक स्तर पर छात्र-छात्राओं का ड्रॉपआउट अर्थव्यवस्था की सं’कट की वजह से है। सरकार द्वारा संचालित साइकिल-पोशाक जैसी योजनाओं से विशेषकर बेटियों में जो उत्साह बना था, वह संतुष्टि के स्तर पर पहुंच गया है। इसलिए अब किसी और नये प्रोत्साहन की जरूरत है। शिक्षित लोगों में बढ़ती बेरो’जगारी भी ड्रॉपआउट बढ़ने का एक बड़ा कारण है। इस संघर्ष को जीतने का एक ही तरीका है कि नौकरी-पेशा के अवसर बढ़ाने होंगे। दूसरी बात है कि गरीब तबके में एक ‘विभ्रम’ फैल रहा है कि बेटा-बेटी पढ़ लिखकर न घर में काम करने लायक रहा, न खेत में काम करने लायक रहा। बेहतर जीवन पद्धति और रोजगार, हायर वैल्यू सिस्टम से इसे जोड़ने पर यह सम’स्या समाप्त हो सकती है।
इस दौरान प्रारंभिक स्कूलों में नामांकन की बात करें तो बेशक मध्य विद्यालय स्तर पर नामांकन में करीब 9 फीसदी का इजाफा हुआ है और यह 69.29 लाख तक पहुंच गया है। 2012-13 में यह तादाद 60.36 लाख ही थी। प्राथमिक स्तर पर कुल नामांकन इन आठ साल के दौरान करीब 15 लाख कम हुआ है। बावजूद इसके 2019-20 में प्राथमिक स्तर पर 139.47 बच्चों का नामांकन सुकून देता है।

 

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