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बिहार सरकार की इस पहल से किसानों को होंगे कई फायदे, जानें….

राज्य के 20 कृषि बाजार इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई नाम) से जुड़ जाएंगे। कृषि विभाग ने इसका प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया है। साथ ही इस संबंध में केंद्र की सारी शंकाओं को भी दूर कर दिया है। इनको जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इसके बाद राज्य की पुरानी 20 बाजार समितियों के प्रांगण में देश के साथ विदेश से भी व्यापार करने की सुविधा राज्य के किसानों को मिल जाएगी।मिली जानकारी के अनुसार, कृषि विभाग ने बदलते समय की मांग के अनुसार राज्य के 54 में से 22 बाजार प्रांगणों में उन्नत आधारभूत संरचनाओं का निर्माण करने की व्यवस्था कर दी हैं। काम शुरू हो गये हैं। इन्हीं 22 में से 20 प्रांगणों को ई नाम से जोड़ने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है। वहां भंडारण के लिए आधुनिक साइलों बनेंगे तो कोल्ड स्टोरेज और गुणवत्ता जांच करने के लैब भी होंगे। कचरा प्रबंधन इकाई, कैंटीन और किसान भवन की भी व्यवस्था होगी।

बदली है देश के कृषि बाजार की स्तिथी - Meri Kheti

योजना पूरा करने के लिए सरकार को लगभग 3200 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। बाजार रात में भी खुले इसके लिए बिजली की पर्याप्त व्यवस्था होगी। विभाग के सचिव डॉ. एन सरवण कुमार ने निर्यात के साथ अंदरूनी बाजार विकसित करने की यह योजना बनाई थी। उसके अनुसार सभी प्रांगण में प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग गेट होंगे। वाहनों के लिए सड़कें बनेगी साथ ही 50 लोडिंग और अनलोडिंग प्लेटफॉर्म होंगे।

इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार से 2021-22 में 1,000 और मंडियों को जोड़ा  जाएगा: सरकार - 1 000 more mandis to be connected to electronic national  agricultural market

किसानों के लिए ठहरने के लिए किसान भवन भी बनेंगे। साथ ही जल निकासी भी आधुनिक व्यवस्था होगी। जरूरत पड़ी तो सरकारी क्षेत्र की संस्थाओं को गोदाम बनाने के लिए खाली जीमन भी दे सकती है। पूरी व्यवस्था एक चाहरदीवारी के भीतर होगी। केंद्र सरकार ने ई नाम की व्यवस्था कर इससे सभी राज्यों के बाजार को जोड़ना शुरू किया तो बिहार इस मामले में पिछड़ गया। केंद्र ने इसके लिए बाजार समितियों का होना अनिवार्य कर दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने 15 साल पहले ही राज्य की बाजार समितियों को भंग कर दिया था। बाद में राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिख इस प्रावधान को शिथिल कर बिहार के बाजार को जोड़ने का आग्रह किया। उधर सरकार ने नाबार्ड के सहयोग से बाजार प्रांगणों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने का काम भी शुरू कर दिया। अब केंद्र व राज्य दोनों के बीच सहमति बन जाने से 20 प्रांगणों के ई नाम से जुड़ने की उम्मीद जग गई है।

बिहार सरकार की पहल: ई नाम से जुड़ेंगे 20 पुराने कृषि बाजार, केंद्र को भेजा  प्रस्ताव, किसानों को यह होगा फायदा

योजना एक नजर में  54 बाजार प्रांगण है राज्य में, 20 बाजार जुड़ेंगे ई नाम से , 3274 करोड़ खर्च होंगे आधुनिक बनाने में, 4491 दुकानें व गोदाम होंगे, 84 एकड़ जमीन खाली रहेगी। 

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