कई जगह आपने हरे रंग के गणेश जी की मूर्ति भी देखी होगी। इस तरह गणेश जी को बहुत से रंगों में देखा जा सकता है। लेकिन आपको आरोग्य पाना है, तो लाल रंग के गणेश जी की पूजा करना विशेष शुभ होता है। मान्यता है कि गणेश जी को जब सिर कटने के बाद हाथी के सिर लगाने पर नया जीवन मिला, तो माता पार्वती ने कहा,‘इस समय तेरे मुख पर सिंदूर दिख रहा है। इसलिए मनुष्यों को सदा सिंदूर से तेरी पूजा करनी चाहिए।’ लाल रंग में रचे-बसे गणेश की मूर्ति अधिकांश मंदिरों में लगी मिलेगी।
श्रीतत्वनिधि ग्रंथ में, जिन 32 गणपतियों के नाम और रूपों का वर्णन किया है, उनमें से 15 गणपति हैं- बाल गणपति, तरुण गणपति, वीर गणपति, क्षिप्र गणपति, महा गणपति, विजय गणपति, एकाक्षर गणपति, वर गणपति, क्षिप्रप्रसाद गणपति, सृष्टि गणपति, उद्दण्ड गणपति, ढुण्डी गणपति, त्रिमुख गणपति, योग गणपति और संकष्ट हर गणपति लाल रंग के ही हैं। इस बात से यह भी पता चलता है कि भारतीय गणेश जी से आरोग्य और बल की कामना सर्वाधिक करते रहे हैं। लेकिन जो लोग धन की इच्छा रखते हैं, उन्हें तो हरे रंग के गणेश जी की मूर्ति से ही विशेष लाभ होगा।
दक्षिण भा’रत में हरे रंग के गणेश जी के मंदिर मिलते हैं, जि’नमें हरिद्रा वर्ण के गणपति विराजमान हैं। इसके विप’रीत अगर आ’प मोक्ष पा’ना चाहते हैं या सं’सार के आवाग’मन से मुक्ति की इच्छा रख रहे हैं, तो आप’को श्वेत वर्ण यानी सफे’द रंग के गणेश जी की मू’र्ति या फो’टो की पूजा कर’नी होगी। सफे’द रंग के गणेश जी की ती’नों सम’य आराधना से आप’को मोक्ष मिल सक’ता है। जैसे क’हा भी गया है-
स्मरेद ्धनार्थी हरिवर्णमेतं मुक्तौ च शुक्लं में मनुवित स्मरेत् तमं्।
एवं प्रकारेण गणं त्रिकालं ध्यायंज’पन् सिद्धियुतो भवेत् स:।।
वैसे कई जग’ह गणेश जी की का’ली,पीली,धुएं वाली, सु’नहरे रंग वा’ली मूर्तियां भी मिल’ती हैं, जिन’का पूजन अलग-अलग उद्देश्य से कि’या जाता है।
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