पटना : धीरे-धीरे बढ़ रही ठंड के बीच मंगलवार की सुबह पटना में गंगा किनारे हजारों बेरोजगारों का मेला सा लग गया। छात्र-छात्राओं का ये हुजूम मंगल के दिन भगवान हनुमान की सामूहिक पूजा के लिए नहीं जुटा था। ना ही इन्हें किसी पार्टी की रैली या जुलूस में जाना था। धरना-प्रदर्शन या आंदोलन के लिए भी ये जमावड़ा नहीं था। ये सब जुटे थे रेलवे की नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा की अपनी-अपनी तैयारियों को जांचने-परखने। इन सबको उनके कोचिंग ने सेट प्रैक्टिस के लिए सुबह-सुबह यहां बुलाया था। नौकरी की प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले मॉक टेस्ट और सेट प्रैक्टिस के जरिए निर्धारित समय सीमा में निर्धारित संख्या में उसी तरह के सवालों का जवाब देते हैं। पेपर वैसे ही होते हैं, जैसे असल की परीक्षा में आते हैं।
सुबह पांच बजे से ही गंगा किनारे युवक और युवतियों की भीड़ जुटने लगी थी। काली घाट से लेकर पटना कॉलेज घाट तक रेलवे प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी सेट प्रैक्टिस में भाग लेने आए थे। इनकी संख्या लगभग पांच हजार से अधिक थी। 25 नवंबर से लगातार रेलवे की बड़ी भर्ती की चार परीक्षाएं होनी है। दरभंगा हाउस, काली घाट, पटना कॉलेज के पास सीढ़ियों पर जिसे जहां जगह मिली, वहीं जम गया। बिहार के अलग-अलग जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखंड के भी बच्चे कोचिंग लेने के लिए पटना आते हैं।
पटना के महेंद्रू, अशोक राजपथ, मुसल्लहपुर जैसे इलाकों में नौकरी-भर्ती की परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कई कोचिंग सेंटर हैं। इन कोचिंग सेंटर के बड़े हॉल में लगभग 500 बच्चे एक साथ पढ़ लेते हैं। एक-एक कोचिंग सेंटर में इस साइज के कई बैच अलग-अलग पालियों में चलाए जाते हैं। सेट प्रैक्टिस या मॉक टेस्ट में वो जगह छोटी पड़ जाती है क्योंकि उसमें एक साथ सारे बैच के बच्चे नहीं समा पाते। इसलिए इस तरह की टेस्ट के लिए कोचिंग वाले बच्चों को गंगा किनारे खुली जगह पर बुला लेते हैं।
बिहार में 15 साल से 29 साल के आयु वर्ग (उत्पादक आयु वर्ग) के 31.9 फीसदी नौजवान पढ़ाई, ट्रेनिंग और नौकरी से दूर हैं। ये बात इसी महीने नेशनल सैंपल सर्वे द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताई गई है। देश के स्तर पर ये नंबर 25.6 परसेंट है। उत्तर प्रदेश का हाल बिहार से भी बुरा है जहां यह दर 34.1 परसेंट पाई गई है। बिहार में लड़कों के बीच ये रेट 9.5 परसेंट जबकि लड़कियों के बीच 56.7 फीसदी है।
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