पटना : बिहार के धान किसानों के लिए खुशखबरी है। पैक्सों और व्यापार मंडलों में धान बेचने पर उन्हें बोनस दिया जाएगा। इस पर सहकारिता विभाग और खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में सहमति बन चुकी है। अब वित्त विभाग की सहमति मिलने पर इस प्रस्ताव को राज्य सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिल जाने के बाद किसानों को जल्द से जल्द बोनस का लाभ मिलेगा।
सहकारिता विभाग की गुरुवार को हुई बैठक में विभागीय योजनाओं एवं बजट व्यय की समीक्षा की गई। इसी बैठक में खरीफ विपणन योजना वर्ष 2024-25 में धान अधिप्राप्ति में राज्य के किसानों को बोनस देने पर विचार किया गया। मंत्री प्रेम कुमार ने बताया कि इस संबंध में अन्तर्विभागीय समन्वय भी स्थापित किया जा रहा है। सरकार के स्तर पर आगे भी सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा। धान खरीद पर खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से राशि मिलती है। इसलिए अंतिम निर्णय खाद्य आपूर्ति विभाग के स्तर से ही होगा। दरअसल, धान खरीद बढ़ाने और किसानों को धान का ज्यादा मूल्य देने के लिए विभाग इस पर विचार कर रहा है। इस वर्ष पड़ोसी राज्यों झारखंड और छत्तीसगढ़ में धान खरीद पर किसानों को बोनस दिया गया था। बिहार में धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य 2183 रुपये प्रति क्विंटल पर हुई थी। झारखंड में किसानों को 117 रुपये बोनस देकर 2300 रुपये प्रति क्विंटल धान लिया गया। छत्तीसगढ़ में किसानों को 917 रुपये बोनस लेकर 3100 रुपये प्रति क्विंटल भुगतान किया गया।
बिहार में धान का बाजार मूल्य भी 2200 से 2400 रुपये प्रति क्विंटल रहा। इसलिए किसानों ने पैक्सों की बजाय व्यापारियों को धान बेचा था। इस वर्ष करीब 30 लाख मीट्रिक टन धान खरीद हुई थी। एक साल पहले 42 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी। बैठक में मंत्री प्रेम कुमार, प्रधान सचिव संतोष कुमाल मल्ल, विशेष सचिव बिरेन्द्र प्रसाद यादव, अपर निबंधक प्रभात कुमार, सैय्यद सरवर हुसैन, संयुक्त निबंधक भरत कुमार, विकास कुमार, ललन शर्मा, संतोष झा, शंभूसेन कुमार, निसार अहमद, संजय कुमार, कामेश्वर ठाकुर, अमर झा, उप निबंधक प्रवीण कुमार सिन्हा आदि मौजूद रहे।
समीक्षा में बताया गया कि राज्य में इस वर्ष मक्का अधिप्राप्ति के लिए राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता फेडरेशन (एनसीसीएफ) नोडल एजेंसी है। एनसीसीएफ के रुचि नहीं लेने के कारण मक्का अधिप्राप्ति प्रभावित हो रही है। इस वर्ष 205 गोदामों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। शीघ्र ही इनका निर्माण कराया जाएगा। विभागीय पदाधिकारी को प्रशिक्षण के लिए आईआईएम इंदौर भेजने पर सहमति बनी।
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