पटना: पटना हाई कोर्ट ने राज्य के नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। सक्षमता परीक्षा से सहमें शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा है कि सक्षमता परीक्षा में फेल होने या शामिल नहीं होने वाले नियोजित शिक्षक पद पर बने रहेंगे और उनकी नौकरी नहीं जाएगी। हाई कोर्ट के इस फैसले से शिक्षा विभाग को बड़ा झटका लगा है।
दरअसल, बिहार में शिक्षकों की बड़ी संख्या में बहाली के बाद राज्य के साढ़े तीन लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों ने उनकी सेवा को स्थाई करते हुए बीपीएससी पास शिक्षकों की तरह ही राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग उठाई थी। जिसके बाद सरकार ने तय किया था कि नियोजित शिक्षकों को सरकार राज्यकर्मी का दर्जा देगी लेकिन उन्हें शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित सक्षमता परीक्षा को पास करना होगा।
राज्य सरकार के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों के लिए सक्षमता परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया। शिक्षा विभाग की तरफ से नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा के जरिए पहले तीन मौके देने की बात कही गई लेकिन बाद में भारी विरोध के बाद शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों को राहत देते हुए सक्षमता परीक्षा को पांच अटैम्पट कर दिया।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ नियोजित शिक्षक संघ ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और न्याय की गुहार लगाई। इस बीच राज्य में शिक्षा विभाग की तरफ से नियोजित शिक्षकों के लिए सक्षमता परीक्षा आयोजित की गई, जिसके नतीजे भी सामने आ चुके हैं। बड़ी संख्या में इस परीक्षा में नियोजित शिक्षक पास हुए हैं तो हजारों शिक्षक फेल भी हो गए हैं।
मंगलवार को पटना हाई कोर्ट में नियोजित शिक्षक संघ की याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अदालत ने उन्हें बड़ी राहत दे दी। हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि ऐसे नियोजित शिक्षक जो सक्षमता परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं या जो परीक्षा में शामिल होने के बावजूद पास नहीं हो सके हैं, सभी पहले की तरह अपने पद पर बने रहेंगे। हाई कोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
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